Exam Pressure: परीक्षा तनाव के कारण छात्र आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले पांच वर्षो में यह घटनाएं अधिक बढ़ी हैं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

इंडिया एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में छात्र आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। 2021 में महाराष्ट्र में सबसे अधिक1,834 मामले दर्ज किए गए। वहीं ओडिशा में कुल 834 मामले दर्ज किए गए।

कोरोना महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी घटनाएं
एनसीआरबी की एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया (एडीएसआई) रिपोर्ट 2021 से पता चलता है कि 2020 और 2021 में कोरोनोवायरस महामारी के दौरान छात्रों की आत्महत्या में भारी वृद्धि हुई थी और पिछले पांच वर्षों में लगातार बढ़ रही है।

आंकड़ों से समझे कितने छात्र और छात्राओं ने 5 वर्षों की आत्महत्या
रिपोर्ट्स के अनुसार 2017 में कुल 9905स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की, जिसमें 59.71 फीसदी छात्र और 47.56 फीसदी छात्राएं शामिल हैं। वहीं 2018 में 10159 ने आत्महत्या की, जिनमें 52.85 छात्र और 47.15 फीसदी छात्राएं शामिल हैं। इसी तरह से 2019 में कुल 10335 ने आत्महत्या की, जिसमें 53.82 छात्र और 46.17 छात्राएं हैं। 2020 में कुछ 12526 ने आत्महत्या की, जिनमें 56.62 फीसदी छात्र और 44.38 फीसदी छात्राएं हैं। वहीं 2021में कुल 13089 ने आत्महत्या की, जिनमें 56.51 फीसदी और 43.49 फीसदी छात्राएं शामिल हैं।

2021 में इन राज्यों में हुईं सबसे ज्यादा घटनाएं
2021 में 5राज्यों में छात्र आत्महत्या की घटनाएं सबसे अधिक हुई हैं। इनमें महाराष्ट्र में 1834 , मध्य प्रदेश में 1308, तमिलनाडु में 1246, कर्नाटक में 855 और ओडिशा में कुल 834 मामले दर्ज किए गए। वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट में आत्महत्या पीड़ितों की शैक्षिक स्थिति को भी दिखाया गया है और कहा गया है कि कुल आत्महत्या पीड़ितों में से केवल 4.6 फीसदी स्नातक और उससे ऊपर के थे। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 11 प्रतिशत पीड़ित निरक्षर थे, जबकि उनमें से 15.8 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक शिक्षित थे।