School fee payment via UPI, Mobile payment for education: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को अपनाने का आग्रह किया है। इस कदम का उद्देश्य स्कूल प्रशासन, विशेषकर वित्तीय लेनदेन, को आधुनिक बनाना है। विभाग के अनुसार, “भारत सरकार ने जीवन और शिक्षा को आसान बनाने के लिए कई विधायी, नीतिगत और संस्थागत सुधार किए हैं।’’
डिजिटल भुगतान अपनाने वाले स्कूलों को सरकार द्वारा तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा, ताकि शिक्षक और प्रशासनिक स्टाफ आसानी से इन सिस्टम का इस्तेमाल कर सकें।
UPI, मोबाइल वॉलेट और नेट बैंकिंग के जरिए शुल्क वसूली का निर्देश
विभाग ने सभी राज्यों, UTs और मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त निकायों जैसे NCERT, CBSE, KVS और NVS से अनुरोध किया है कि वे स्कूलों में शुल्क वसूली को डिजिटल रूप में सक्षम करने वाले सिस्टम लागू करें। डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म जैसे UPI, मोबाइल वॉलेट और नेट बैंकिंग के उपयोग को बढ़ावा देना इसका मुख्य लक्ष्य है।
डिजिटल भुगतान से स्कूलों में फीस संग्रह प्रक्रिया में धोखाधड़ी और नकदी से जुड़ी त्रुटियों की संभावना भी कम हो जाती है।
डिजिटल भुगतान के लाभ
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, नकद से डिजिटल भुगतान की ओर यह बदलाव सुविधाजनक, पारदर्शी और घर बैठे भुगतान करने में सक्षम बनाता है। यह पहल न केवल शिक्षा प्रशासन में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देती है, बल्कि हितधारकों में वित्तीय साक्षरता को भी प्रोत्साहित करती है।
विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में योगदान
यह पहल एक डिजिटल रूप से सशक्त, समावेशी और नागरिक-केंद्रित शिक्षा प्रणाली के दृष्टिकोण का समर्थन करती है। मंत्रालय ने कहा कि यह प्रयास विकसित भारत के दृष्टिकोण को 2047 तक साकार करने में योगदान देगा।
डिजिटल सिस्टम अपनाने से छात्रों और अभिभावकों को भी शिक्षा प्रशासन की पारदर्शिता के प्रति जागरूकता बढ़ती है, जिससे स्कूल प्रशासन में विश्वास मजबूत होता है।