केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) उन लोगों के लिए सितंबर में कम्पार्टमेंट, वैकल्पिक परीक्षा आयोजित करेगा जो अपनी पहली कोशिश में अपनी कक्षा 10 या 12 की बोर्ड परीक्षाओं को क्लीयर नहीं कर पाए थे, और वे छात्र जो COVID 19 महामारी के कारण रद्द किए गए पेपर में उपस्थित नहीं हो सकते थे, और प्रदर्शन में सुधार के लिए आवेदन किया था। हालांकि, छात्र और तमाम अभिभावक बोर्ड के इस फैसले से खुश नहीं है और इसके विरोध में वे उच्चतम न्यायालय चले गए हैं। न्यायालय से गुहार लगाने के बाद अब मामला अदालत में विचाराधीन है और छात्र इस उम्मीद में हैं कि बिहार बोर्ड की तरह ही CBSE बोर्ड भी कंपार्टमेंट एग्जाम रद्द कर छात्रों को प्रमोट करे।
CBSE Class 10th, 12th Compartment Exam 2020 Live Updates: Check here
छात्रों की ओर से यह याचिका ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरव ने दायर की थी। स्टूडेंट्स का तर्क है कि अगर सीबीएसई बोर्ड एग्जाम कराएगा तो उन्हें किसी भी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाएगा, क्योंकि लगभग सभी कॉलेजों में एडमिशन अगस्त में 15-20 अगस्त तक खत्म हो जाएंगे। अब इस मामले में जल्द फैसला आने वाला है जिसके बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कंपार्टमेंट एग्जाम होंगे या नहीं। ताजा अपडेट्स पाने के लिए इस पेज पर बने रहें।
Sarkari Naukri Job Notification 2020 LIVE Updates: Check Here
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने CBSE से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि वह विशेष सूत्रों के आधार पर परिणाम जारी करेगा, और जिन छात्रों को इस फॉर्मूले के माध्यम से दिए गए अंकों पर कोई आपत्ति होगी, परीक्षा में बैठने का मौका। इसे अंतिम परीक्षा माना जाना था और इसके बाद किसी भी सुधार परीक्षा की अनुमति नहीं दी जानी थी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था।
सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने पीएचडी चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ''नीति में विभिन्न सिद्धांतों एवं बहु विषय पहल के समागम की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क नीति में सुझाये सुधारों को लागू करने का खाका प्रदान करेगा।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका का जवाब देते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि रिजल्ट स्पेशल फॉर्मुले के आधार पर जारी किया जाएगा।
स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।"
एक नया शिक्षा नीति आमतौर पर हर कुछ दशकों में आती है। नई शिक्षा नीति भारत में 3 दशक बाद आई है। पहला 1968 में और दूसरा 1986 में क्रमशः इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में तथा तीसरी नीति अब नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री काल में बुधवार को स्वीकृत की गई है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने CBSE से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
कक्षा 10/12 कंपार्टमेंटल परीक्षा के लिए प्रति विषय के लिए सामान्य शुल्क भारत में स्कूलों के लिए 300 रुपये है। वहीं भारत के बाहर के स्कूलों के लिए प्रति विषय 2,000 रुपये है। आवेदन फीस 20 अगस्त शाम 5 बजे तक जमा की जा सकती है। उम्मीदवार 22 अगस्त को शाम 5 बजे तक देर से जमा करने के लिए नियमित शुल्क के अलावा 2,000 रुपये का लेट फीस दे सकते हैं।
कम्पार्टमेंट परीक्षा आमतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित की जाती है जो एक या दो विषयों में फेल होते हैं। बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
सीबीएसई ने कहा कि कक्षा 12 के लिए, रेग्युलर स्टूडेंट्स जो फरवरी / मार्च 2020 में बोर्ड से जुड़े स्कूलों के माध्यम से उपस्थित हुए और कंपार्टमेंट घोषित किए गए, केवल एक विषय में आवेदन करने के लिए पात्र हैं, जिसे कंपार्टमेंट में रखा गया था।
सीबीएसई कक्षा 10 वीं और 12 वीं के कंपार्टमेंट परीक्षा सितंबर 2020 में आयोजित किए जाने की संभावना है। स्कूलों को रेग्युलर स्टूडेंट्स के संबंध में कम्पार्टमेंट परीक्षा के लिए एनओसी प्रस्तुत करना होगा।
केवल उन उम्मीदवारों को, जिनके नाम को ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, को सितंबर 2020 में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने की अनुमति दी जाएगी।
जब भी संपर्क किया जाए, तो स्कूल ऐसे “निजी उम्मीदवारों” को सीधे सीबीएसई की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने की सलाह / निर्देश दे सकते हैं।
प्राइवेट कैंडिडेट्स के लिए अलग-अलग सर्कुलर सीबीएसई लिंक की वेबसाइट https://cbse.nic.in/newsite/pStreet/index.html पर उपलब्ध है।
कक्षा 12 वीं और 10 वीं दोनों के लिए उम्मीदवार ई-परिक्षा पोर्टल – https://cbse.nic.in/newsite/reg2020.html के माध्यम से कंपार्टमेंट परीक्षा 2020 के लिए आवेदन कर सकते हैं। लिंक 13 अगस्त, 2020 से एक्टिवेट कर दिया गया है।
वे छात्र जो फरवरी / मार्च 2020 में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में रेग्युलर उम्मीदवार के रूप में उपस्थित हुए थे और जिनका परिणाम रिजल्ट कम्पार्टमेंट घोषित किया गया था, वे ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए पात्र हैं।
सीबीएसई, 10वीं और 12वीं क्लास के कंपार्टमेंट एग्जाम सितंबर 2020 में आयोजित किए जाने की संभावना है। हालांकि सीबीएसई परीक्षा की तारीख की घोषणा बाद में करेगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने उन अभ्यर्थियों के लिए लिंक एक्टिवेट कर दिया, जो कंपार्टमेंट / सुधार परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहते हैं।
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
सीबीएसई ने अब "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। एक जारी बयान में कहा गया था कि, रिजल्ट फेल घोषित हुए उम्मीदवारों को जारी किए गए दस्तावेजों और वेबसाइट पर होस्ट किए गए रिजल्ट में "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” लिखा दिखाई देगा।
10वीं और 12वीं कक्षओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी मगर कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड परीक्षा को फिर से डिज़ाइन किया जाएगा। छात्र अब नई नीति के अनुसार उन विषयों का खुद चुनाव कर सकेंगे जिनके लिए वे बोर्ड परीक्षा देना चाह रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा के नंबरों का महत्व अब कम होगा जबकि कॉन्सेप्ट और प्रैक्टिकल नॉलेज का महत्व ज्यादा होगा। सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और एक सुधार के लिए। छात्र दूसरी बार परीक्षा देकर अपने नंबर सुधार भी सकेंगे।
स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।"
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
कम्पार्टमेंट परीक्षा आमतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित की जाती है जो एक या दो विषयों में फेल होते हैं। बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
दिल्ली सरकार के स्कूलों को भी मिलेगा अपने मनपसंद बोर्ड को चुनने का अधिकार। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि, "अन्य राज्य बोर्डों में क्या होता है कि निजी स्कूल अपनी पसंद बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, चाहे वे सीबीएसई, आईसीएसई या राज्य बोर्ड का चयन करना चाहते हैं, जबकि सरकारी स्कूल राज्य बोर्ड का पालन करते हैं। हमारे पास कोई थोपा नहीं जाएगा। यह वैकल्पिक होगा।'
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शिक्षा बोर्ड और पाठ्यक्रम सुधार के गठन के लिए योजना और रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था।
CBSE बोर्ड इस साल कंपार्टमेंट एग्जाम आयोजित करेगा या नहीं अभी नहीं कहा जा सकता है। बोर्ड जल्द ही कम्पार्टमेंट परीक्षा और वैकल्पिक परीक्षा के लिए शिड्यूल जारी करने या नहीं करने की जानकारी देगा। कम्पार्टमेंट एग्जाम की तारीखों का फैसला भारत सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
सीबीएसई ने अब "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। एक जारी बयान में कहा गया था कि, रिजल्ट फेल घोषित हुए उम्मीदवारों को जारी किए गए दस्तावेजों और वेबसाइट पर होस्ट किए गए रिजल्ट में "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” लिखा दिखाई देगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए थे। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
COVID-19 महामारी के बीच कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करने पर बोर्ड द्वारा कई प्रश्न पूछे जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने पीएचडी चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ''नीति में विभिन्न सिद्धांतों एवं बहु विषय पहल के समागम की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क नीति में सुझाये सुधारों को लागू करने का खाका प्रदान करेगा।
'नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के जरिये कार्यरूप लेगा जिसके लिये अधिक से अधिक सहभागिता वाले कदमों की जरूरत है।''
सीबीएसई के निदेशक ने कहा कि प्रतिस्पर्धी शिक्षा और शिक्षण परिणाम के लिये जरूरी प्रशिक्षण सभी पक्षकारों की प्रगतिशील सहभागिता से हासिल की जा सकती है।
ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने सीबीएसई से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।