बिहार बोर्ड और तेलंगाना बोर्ड ने कोरोनावायरस के चलते कंपार्टमेंट एग्जाम आयोजित नहीं करने का फैसला लिया और ग्रेस मार्क्स के आधार पर छात्रों को प्रमोट कर दिया है। अब सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं में कंपार्टमेंट पाने स्टूडेंट्स का भविष्य बीच में लटका है। निर्देशों के मुताबिक, सीबीएसई बोर्ड चाहता है कि 1 या 2 विषय में फेल होने वाले कैंडिडेट्स के कंपार्टमेंट एग्जाम कराए जाएं, जबकि अभिभावक और स्टूडेंट्स चाहते हैं कि उन्हें बिना एग्जाम के ही पास कर दिया जाए। इस पर स्टूडेंट्स का तर्क है कि अगर सीबीएसई बोर्ड एग्जाम कराएगा तो उन्हें किसी भी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाएगा, क्योंकि लगभग सभी कॉलेजों में एडमिशन अगस्त में 15-20 अगस्त तक खत्म हो जाएंगे।
अभी एग्जाम को लेकर सीबीएसई की तरफ से कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि एग्जाम कब कराए जाएंगे और रिजल्ट कब तक जारी किया जाएगा। बोर्ड जल्द ही कम्पार्टमेंट परीक्षा और वैकल्पिक परीक्षा के लिए शिड्यूल जारी करने या नहीं करने की जानकारी देगा। कम्पार्टमेंट एग्जाम की तारीखों का फैसला भारत सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
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स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।"
बोर्ड परीक्षा के नंबरों का महत्व अब कम होगा जबकि कॉन्सेप्ट और प्रैक्टिकल नॉलेज का महत्व ज्यादा होगा। सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और एक सुधार के लिए। छात्र दूसरी बार परीक्षा देकर अपने नंबर सुधार भी सकेंगे।
10वीं और 12वीं कक्षओं के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी मगर कोचिंग कक्षाओं की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बोर्ड परीक्षा को फिर से डिज़ाइन किया जाएगा। छात्र अब नई नीति के अनुसार उन विषयों का खुद चुनाव कर सकेंगे जिनके लिए वे बोर्ड परीक्षा देना चाह रहे हैं।
सीबीएसई ने अब "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। एक जारी बयान में कहा गया था कि, रिजल्ट फेल घोषित हुए उम्मीदवारों को जारी किए गए दस्तावेजों और वेबसाइट पर होस्ट किए गए रिजल्ट में "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” लिखा दिखाई देगा।
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
सीबीएसई के टू-लेवल मैथ्स रूल के अनुसार, जो छात्र 11 और 12 क्लास में मैथमैटिक्स पढ़ना चाहते हैं उन्हें 10 मैथमैटिक्स स्टैंडर्ड लेना जरूरी होता है। दूसरे छत्र 10वीं में सामान्य गणित (बेसिक मैथ्स) लेते हैं। कठिनाई के स्तर पर दोनो पेपर अलग होते हैं। ऐसा नया सिद्धांत 2019 में शुरू किया गया है जिससे कि मैथ्स न पढ़ने के इच्छुक छात्रों को अनावश्यक मैथ्स का बोझ न हो।
सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि कंपार्टमेंट परीक्षाएं जरूर ली जाएंगी। साथ ही ये भी कहा है कि ये परीक्षाएं कोविड-19 महामारी के हालात को समझते हुए एक निश्चित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के तहत आयोजित की जाएंगी। इसकी जानकारी बोर्ड अपनी वेबसाइट cbse.nic.in पर देगा।
इसमें स्कूली शिक्षा में सुधार, पांचवी कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा, 3 या 4 वर्ष का स्नातक कोर्स चुनने का विकल्प, डिग्री कोर्स में बहु स्तरीय प्रवेश या निकासी की व्यवस्था, उच्च शिक्षा में एकल नियामक, फीस तय किये जाने सहित अनेकों सुधारों की बात कही गई है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी जिसने 1986 में लागू 34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति का स्थान लिया है। इसके माध्यम से स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक रूपांतरकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ है ताकि भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाया जा सके।
सीबीएसई ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा, यदि कंपार्टमेंट परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है, तो बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित होगा।
ऐसे में बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने सीबीएसई से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
सीबीएसई के निदेशक ने कहा कि प्रतिस्पर्धी शिक्षा और शिक्षण परिणाम के लिये जरूरी प्रशिक्षण सभी पक्षकारों की प्रगतिशील सहभागिता से हासिल की जा सकती है।
'नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा के जरिये कार्यरूप लेगा जिसके लिये अधिक से अधिक सहभागिता वाले कदमों की जरूरत है।''
सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने पीएचडी चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ''नीति में विभिन्न सिद्धांतों एवं बहु विषय पहल के समागम की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क नीति में सुझाये सुधारों को लागू करने का खाका प्रदान करेगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
COVID-19 महामारी के बीच कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करने पर बोर्ड द्वारा कई प्रश्न पूछे जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए थे। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
सीबीएसई ने अब "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” शब्द इस्तेमाल करने का फैसला किया है। एक जारी बयान में कहा गया था कि, रिजल्ट फेल घोषित हुए उम्मीदवारों को जारी किए गए दस्तावेजों और वेबसाइट पर होस्ट किए गए रिजल्ट में "फेल" शब्द के स्थान पर “Essential Repeat” लिखा दिखाई देगा।
CBSE बोर्ड इस साल कंपार्टमेंट एग्जाम आयोजित करेगा या नहीं अभी नहीं कहा जा सकता है। बोर्ड जल्द ही कम्पार्टमेंट परीक्षा और वैकल्पिक परीक्षा के लिए शिड्यूल जारी करने या नहीं करने की जानकारी देगा। कम्पार्टमेंट एग्जाम की तारीखों का फैसला भारत सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शिक्षा बोर्ड और पाठ्यक्रम सुधार के गठन के लिए योजना और रूपरेखा तैयार करने के लिए दो समितियों का गठन किया था।
दिल्ली सरकार के स्कूलों को भी मिलेगा अपने मनपसंद बोर्ड को चुनने का अधिकार। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि, "अन्य राज्य बोर्डों में क्या होता है कि निजी स्कूल अपनी पसंद बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, चाहे वे सीबीएसई, आईसीएसई या राज्य बोर्ड का चयन करना चाहते हैं, जबकि सरकारी स्कूल राज्य बोर्ड का पालन करते हैं। हमारे पास कोई थोपा नहीं जाएगा। यह वैकल्पिक होगा।'
कम्पार्टमेंट परीक्षा आमतौर पर उन छात्रों के लिए आयोजित की जाती है जो एक या दो विषयों में फेल होते हैं। बिहार और तेलंगाना राज्य बोर्ड सहित कई बोर्डों ने महामारी के कारण कंपार्टमेंटल परीक्षा को रद्द कर दिया है।
देश में तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा। वहीं Gross Enrolment Ratio को 2035 तक पचास फीसदी करने का लक्ष्य है। 2018 के आकड़ों के अनुसार Gross Enrolment Ratio 26.3 प्रतिशत था।
स्नातक में प्रवेश लेने के बाद तीन साल पढ़ाई करना अनिवार्य नहीं होगा। नई शिक्षा निति लागू होने के बाद स्नातक 3 से 4 साल तक होगा। इस बीच किसी भी तरह से अगर बीच में छात्र पढ़ाई छोड़ता है तो उसका साल खराब नही होगा। एक साल तक पढ़ाई करने वाले छात्र को प्रमाणपत्र, दो साल पढ़ाई करने वाले को डिप्लोमा और कोर्स की पूरी अवधि करने वाले को डिग्री प्रदान की जाएगी।
बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने CBSE से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
एक नया शिक्षा नीति आमतौर पर हर कुछ दशकों में आती है। नई शिक्षा नीति भारत में 3 दशक बाद आई है। पहला 1968 में और दूसरा 1986 में क्रमशः इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में तथा तीसरी नीति अब नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री काल में बुधवार को स्वीकृत की गई है।
स्कूलों में शिक्षा के माध्यम पर, शिक्षा नीति में कहा गया है, “जहां भी संभव हो, निर्देश का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी। इसके बाद, स्थानीय भाषा को जहाँ भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। यह नियम सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के स्कूल में लागू होंगे।"
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक याचिका का जवाब देते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि रिजल्ट स्पेशल फॉर्मुले के आधार पर जारी किया जाएगा।
सीबीएसई के निदेशक विश्वजीत साहा ने पीएचडी चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम में कहा, ''नीति में विभिन्न सिद्धांतों एवं बहु विषय पहल के समागम की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क नीति में सुझाये सुधारों को लागू करने का खाका प्रदान करेगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कहा था कि वह विशेष सूत्रों के आधार पर परिणाम जारी करेगा, और जिन छात्रों को इस फॉर्मूले के माध्यम से दिए गए अंकों पर कोई आपत्ति होगी, परीक्षा में बैठने का मौका। इसे अंतिम परीक्षा माना जाना था और इसके बाद किसी भी सुधार परीक्षा की अनुमति नहीं दी जानी थी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया था।
बहुत से स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने CBSE से गुहार लगाई थी कि इस साल की कंपार्टमेंट परीक्षा टाल दी जाए क्योंकि इससे स्टूडेंट्स की सुरक्षा को खतरा है। सीबीएसई ने काफी विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला सुनाया है कि किसी भी कंडीशन में कंपार्टमेंट परीक्षाएं कैंसिल नहीं की जाएंगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
सीबीएसई का यह भी कहना है कि कुछ सोचकर ही मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने एमएचआरडी को कॉलेजेस के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं और बोर्ड की बची परीक्षाएं कंडक्ट कराने की अनुमति दी है। इन्हें कंडक्ट कराते समय हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा जाएगा जो स्टूडेंट की सेफ्टी के लिए जरूरी हैं।
बोर्ड ने यह भी कहा कि वे स्टूडेंट्स जो अपने इंटर्नल एसेसमेंट के रिजल्ट्स से संतुष्ट नहीं हैं वे बाद में होने वाले फिजिकल टेस्ट को देकर अपने अंक सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। बोर्ड कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद इंप्रूवमेंट एग्जाम भी आयोजित कर सकता है।
सीबीएसई के टू-लेवल मैथ्स रूल के अनुसार, जो छात्र 11 और 12 क्लास में मैथमैटिक्स पढ़ना चाहते हैं उन्हें 10 मैथमैटिक्स स्टैंडर्ड लेना जरूरी होता है। दूसरे छत्र 10वीं में सामान्य गणित (बेसिक मैथ्स) लेते हैं। कठिनाई के स्तर पर दोनो पेपर अलग होते हैं। ऐसा नया सिद्धांत 2019 में शुरू किया गया है जिससे कि मैथ्स न पढ़ने के इच्छुक छात्रों को अनावश्यक मैथ्स का बोझ न हो।
सीबीएसई ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा, यदि कंपार्टमेंट परीक्षा आयोजित नहीं की जाती है, तो बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित होगा। हालांकि, अभिभावकों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के बीच परीक्षाएं आयोजित करने से छात्रों का स्वास्थ्य संकट में पड़ सकता है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के निदेशक ने शुक्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का मुख्य उद्देश्य नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क ( National Curriculum Framework ) के जरिये कार्यरूप लेगा। नई नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार का प्रस्ताव किया गया है।
COVID-19 महामारी के बीच कक्षा 10 और कक्षा 12 के छात्रों के लिए कंपार्टमेंटल परीक्षा आयोजित करने पर बोर्ड द्वारा कई प्रश्न पूछे जाने के बाद नोटिस जारी किया गया था।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए थे। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।