पिछले कुछ समय में भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ाई करना काफी मुश्किल हुआ है और इसकी वजह है उन देशों की वीजा पॉलिसी। अमेरिका इसका ताजा उदाहरण है जिसने भारतीय प्रवासी छात्रों और H-1B वीजा धारकों पर कठोर कार्रवाई की थी। अमेरिका से भारतीय छात्रों को लौटना पड़ा था। अमेरिका के अलावा उसके पड़ोसी मुल्क कनाडा ने भी भारत को झटका दिया है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 में लगभग 80% भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन खारिज कर दिए गए हैं जो कि पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है।
भारतीयों के सबसे ज्यादा आवेदन हुए खारिज
आंकड़े बताते हैं कि कनाडा ने एशिया और अफ्रीका के अन्य देशों के स्टूडेंट वीजा आवेदन भी खारिज किए हैं, लेकिन सबसे अधिक आवेदन भारतीय छात्रों के खारिज हुए हैं। भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन खारिज होने का असर कनाडा के कॉलेजों में भी देखने को मिला है। कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में कनाडा ने केवल लगभग 1.88 लाख नए भारतीय छात्रों को एडमिशन दिया। यह संख्या 2 साल पहले तक डबल थी।
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जर्मनी बना भारतीयों की पसंद
अमेरिका और कनाडा में स्टूडेंट वीजा को लेकर हुई सख्ती के बाद भारतीयों ने जर्मनी को उच्च शिक्षा के लिए अपनी पहली पसंद बना लिया है। 2024 में कनाडा के अंदर केवल 1.88 लाख भारतीय छात्रों को प्रवेश मिला, जबकि जर्मनी में 31% भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। 2022 में कनाडा के अंदर भारतीयों के पढ़ने की संख्या 18 फीसदी थी जो 2024 में घटकर 9 फीसदी रह गई। भारत समेत दुनिया भर के देशों के छात्रों के लिए कनाडा इसलिए अपना दरवाजा बंद कर रहा है क्योंकि वहां बड़े पैमाने पर आवासीय सुविधा की कमी है।
जर्मनी में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित विश्वविद्यालय और अंग्रेजी भाषा के प्रोग्रामों का विस्तार भारतीय छात्रों को तेजी से आकर्षक कर रहा है। जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, नामांकन के आंकड़े इस वृद्धि को रेखांकित करते हैं. पिछले पांच वर्षों में भारतीय छात्रों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है, जो 2023 में 49,500 से बढ़कर 2025 में लगभग 60,000 तक पहुंच गई है।