यूपी बोर्ड 10वीं 12वीं का रिजल्ट उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जारी कर दिया है। अब 1 जुलाई से स्टूडेंट्स अपनी मार्कशीट प्राप्त कर सकेंगे। स्टूडेंट्स की मार्कशीट पर उनका नाम, स्कूल का नाम, कुल नंबर, सब्जेक्ट वाइज नंबर और अन्य डिटेल्स अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में छपे होंगे। स्टूडेंट्स अपने नंबर अगर फिर से एक और बार चेक करना चाहते हैं तो वह upresults.nic.in, results.gov.in- upmsp.edu.in- upmspresults.up.nic.in पर अपने नंबर चेक कर सकते हैं।
UP Madarsa Board Result 2020 Declared: Check Here
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के अनुसार, ई-हस्ताक्षर और ई-सत्यापन के बाद, 15 जुलाई से संबंधित स्कूलों के माध्यम से मार्कशीट की हार्ड कॉपी प्राप्त की जा सकती है। रिजल्ट प्राप्त करने के अलावा, छात्रों को अपनी मार्कशीट प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा क्योंकि पूरी प्रक्रिया डिजिटल और हार्ड कॉपी हो गई है। अगर यूपी बोर्ड कक्षा 10 वीं, 12 वीं के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं, तो छात्र पुनर्मूल्यांकन, पुन: मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं या एक फोटोकॉपी की मांग करके अपने उत्तर स्क्रिप्ट प्राप्त कर सकते हैं।
Highlights
लॉकडाउन के कारण यूपी बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट इस साल एक महीने से अधिक देरी से घोषित किए जा रहे हैं। कॉपियों की चेकिंग पहले ग्रीन फिर ऑरेन्ज और अंत में रेड ज़ोन में पूरी की गई। कॉपी चेकिंग के प्रोसेस में सभी जरूरी प्रतिबंधों और सामाजिक दूरी के सख्त निर्देशों का पालन भी किया गया।
बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के 56 लाख स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी किए हैं। परीक्षा में शामिल हुए छात्र जिन्होनें अभी अपनी मार्कशीट डाउनलोड नहीं की है, वे आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in और upresults.nic.in पर जाकर अपना रिजल्ट चेक करें। उत्तर प्रदेश बोर्ड, उत्तर प्रदेश माध्यमिक परिषद (UPMSP) की आधिकारिक वेबसाइट पर रिजल्ट चेक किया जा सकता है। रिजल्ट आधिकारिक वेबसाइट के अलावा थर्ड पार्टी वेबसाइट्स या मोबाइल पर sms के माध्यम से भी देखा जा सकता है।
इस वर्ष कुल 27,72,656 छात्र 10वीं की परीक्षा में उपस्थित हुए जबकि 23,09,802 छात्र पास हुए। पास प्रतिशत 83.31% है, पिछले वर्षों से इसमें सुधार हुआ है। हाई स्कूल परीक्षा के लिए कुल 12,81,842 लड़कियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 11,18,914 ने परीक्षा पास की। लड़कियों का रिजल्ट 87.29 प्रतिशत रहा। इसी तरह, 14,90,814 लड़कों ने परीक्षा दी जिनमें से 11,90,888 पास हुए। लड़कों का रिजल्ट 79.88 प्रतिशत रहा जो लड़कियों के उत्तीर्ण प्रतिशत से कम है।
मेरठ जिले ने 12 वीं कक्षा में उच्चतम पास प्रतिशत 74.48 प्रतिशत दर्ज किया। बरेली और प्रयागराज ने क्रमशः 80.79 और 78.06 पास प्रतिशत के साथ दूसरा और तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
एक छोटे स्तर के व्यवसायी की बेटी, रिया जैन ने 580 अंकों के साथ उत्तर प्रदेश, UPMSP कक्षा 10 की परीक्षा में टॉप किया। 15 वर्षीय ने विज्ञान में 99, गणित, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान में 98, हिंदी में 90 और ड्राइंग में 97 अंक हासिल किए।
इस साल यूपी बोर्ड 10वीं में 83.31 फीसदी और 12वीं में 74.63 फीसदी स्टूडेंट्स ने सफलता हासिल की है। हाईस्कूल (10वीं) में बड़ौत-बागपत की रिया जैन ने 96.67 फीसदी मार्क्स के साथ टॉप किया है। जबकि इंटरमीडिएट (12वीं) में बड़ौत-बागपत के अनुराग मलिक ने 97% मार्क्स के साथ टॉप किया है। यानी 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं के टॉपर श्रीराम एसएस इंटर कॉलेज एक ही स्कूल से हैं।
इस साल यूपी बोर्ड के रिजल्ट में सुधार हुआ है। 2 लाख से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए 1 लाख से अधिक निरीक्षकों को काम पर रखा गया था। डिप्टी सीएम ने इस पहल के लिए यूपी बोर्ड को बधाई दी है। इस बार के रिजल्ट की घोषणा राज्य के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने की।
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा में घोषणा की है कि 10वीं के टॉपर्स को ईनाम के रूप में 1 लाख रुपए तथा एक- एक लैपटॉप राज्य सरकार की ओर से दिए जाएंगे।
12वीं में लड़कियों का रिजल्ट लड़कों से बेहतर रहा है। 68.88 प्रतिशत लड़कों की तुलना में कुल 74.63 प्रतिशत लड़कियों ने कक्षा 12 की परीक्षा पास की है। इस साल इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 74.63 फीसदी छात्र पास हुए हैं।
अनुराग मलिक ने 97% अंकों के साथ कक्षा 12 की परीक्षा में टॉप किया है। दूसरी रैंक प्रांजल सिंह ने हासिल की है और तीसरी रैंक उत्कर्ष शुक्ला ने हासिल की है। 12वीं के रिजल्ट की पूरी अपडेट्स देखने के लिए यहां क्लिक करें।
10वीं में बागपत से रिया जैन ने 96.67% अंकों के साथ 10 वीं कक्षा में टॉप किया है। लाखपारा के अभिमन्यु वर्मा ने 95.53% के साथ दूसरा स्थान हासिल किया है तथा तीसरी रैंक योगेश प्रताप सिंह ने 95.33% के साथ हासिल की है।
यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट (12वीं) के वे छात्र जो अपनी मार्कशीट से खुश नहीं हैं, वे स्क्रूटनी के लिए अभी आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें।
यूपी बोर्ड हाईस्कूल (10वीं) के वे छात्र जो अपनी मार्कशीट से खुश नहीं हैं, वे स्क्रूटनी के लिए अभी आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें।
जो छात्र अपने रिजल्ट से खुश नहीं हैं वे रीइवेल्युएशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। पिछले साल, यूपी बोर्ड ने रीइवेल्युएशन के लिए आवेदन शुल्क में पांच गुना वृद्धि की थी और ऐसा करने वाला सबसे महंगा बोर्ड बन गया था। नवीनतम नियमों के अनुसार, एक विषय में रीइवेल्युएशन के लिए उम्मीदवारों को अब 100 रुपये के बजाय 500 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके साथ, यूपी बोर्ड की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया देश में सबसे महंगी है।
नए नियमों के अनुसार, एक विषय के पेपर पुनर्मूल्यांकन के लिए, उम्मीदवारों को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। हालांकि, ये फीस पहले 100 रुपये थी।
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व एवं व्यावसायिक नैतिकता, व्यावसायिक वित्त के स्रोत अध्याय में अंतर्राष्ट्रीय वित्त के अलावा लघु व्यवसाय को विस्तार से पढ़ाया जाएगा। वहीं, बहीखाता विषय में लेखांकन मानक, वस्तु एवं सेवाकर और लेखांकन में कम्प्यूटर का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
छात्रसंख्या के लिहाज से यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। 2020 की परीक्षा के लिए 56,07,118 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। जितने छात्र 10वीं-12वीं की परीक्षा देते हैं उतनी दुनिया के 80-85 देशों की आबादी नहीं है।
बोर्ड ने 1923 में पहली बार परीक्षा कराई थी जिसमें हाईस्कूल के 5655 और इंटर के 89 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे। 2020 की परीक्षा बोर्ड की 98वीं परीक्षा थी। 2022 में परीक्षा के 100 साल पूरे हो जाएंगे।
परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ ही सरकार ने 1972 में मेरठ, 1978 में वाराणसी, 1981 में बरेली, 1986 में इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) तथा 2017 में गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की।
एक छोटे स्तर के व्यवसायी की बेटी, रिया जैन ने 580 अंकों के साथ उत्तर प्रदेश, UPMSP कक्षा 10 की परीक्षा में टॉप किया। 15 वर्षीय ने विज्ञान में 99, गणित, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान में 98, हिंदी में 90 और ड्राइंग में 97 अंक हासिल किए।
नए नियमों के अनुसार, एक विषय के पेपर पुनर्मूल्यांकन के लिए, उम्मीदवारों को 500 रुपये का भुगतान करना होगा। हालांकि, ये फीस पहले 100 रुपये थी।
इस साल यूपी बोर्ड 10वीं में 83.31 फीसदी और 12वीं में 74.63 फीसदी स्टूडेंट्स ने सफलता हासिल की है। हाईस्कूल (10वीं) में बड़ौत-बागपत की रिया जैन ने 96.67 फीसदी मार्क्स के साथ टॉप किया है। जबकि इंटरमीडिएट (12वीं) में बड़ौत-बागपत के अनुराग मलिक ने 97% मार्क्स के साथ टॉप किया है। यानी 10वीं और 12वीं दोनों कक्षाओं के टॉपर श्रीराम एसएस इंटर कॉलेज एक ही स्कूल से हैं।
उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा में घोषणा की है कि 10वीं के टॉपर्स को ईनाम के रूप में 1 लाख रुपए तथा एक- एक लैपटॉप राज्य सरकार की ओर से दिए जाएंगे।
12वीं में लड़कियों का रिजल्ट लड़कों से बेहतर रहा है। 68.88 प्रतिशत लड़कों की तुलना में कुल 74.63 प्रतिशत लड़कियों ने कक्षा 12 की परीक्षा पास की है। इस साल इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 74.63 फीसदी छात्र पास हुए हैं।
जो छात्र अपने रिजल्ट से खुश नहीं हैं वे रीइवेल्युएशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। पिछले साल, यूपी बोर्ड ने रीइवेल्युएशन के लिए आवेदन शुल्क में पांच गुना वृद्धि की थी और ऐसा करने वाला सबसे महंगा बोर्ड बन गया था। नवीनतम नियमों के अनुसार, एक विषय में रीइवेल्युएशन के लिए उम्मीदवारों को अब 100 रुपये के बजाय 500 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके साथ, यूपी बोर्ड की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया देश में सबसे महंगी है।
इस वर्ष कुल 27,72,656 छात्र 10वीं की परीक्षा में उपस्थित हुए जबकि 23,09,802 छात्र पास हुए। पास प्रतिशत 83.31% है, पिछले वर्षों से इसमें सुधार हुआ है। हाई स्कूल परीक्षा के लिए कुल 12,81,842 लड़कियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 11,18,914 ने परीक्षा पास की। लड़कियों का रिजल्ट 87.29 प्रतिशत रहा। इसी तरह, 14,90,814 लड़कों ने परीक्षा दी जिनमें से 11,90,888 पास हुए। लड़कों का रिजल्ट 79.88 प्रतिशत रहा जो लड़कियों के उत्तीर्ण प्रतिशत से कम है।
छात्र अपना परिणाम डाउनलोड कर सकते हैं और इसे एक प्रोविजन मार्क शीट के रूप में रख सकते हैं, लेकिन विस्तृत और मूल मार्कशीट संबंधित स्कूलों से ही उपलब्ध कराई जाएगी।
छात्र अपना परिणाम डाउनलोड कर सकते हैं और इसे एक प्रोविजन मार्क शीट के रूप में रख सकते हैं, लेकिन विस्तृत और मूल मार्कशीट संबंधित स्कूलों से ही उपलब्ध कराई जाएगी।
2020 की इंटर बोर्ड परीक्षा में बहीखाता तथा लेखाशास्त्र में पंजीकृत 75,212 छात्र-छात्राओं में से 72,271 सम्मिलित हुए और इनमें से 62,363 (86.29 प्रतिशत) पास हुए। इसी प्रकार व्यापारिक संगठन एवं पत्र व्यवहार में पंजीकृत 75,605 में से 72,636 शामिल हुए और उनमें से 65,715 (90.47 फीसदी) सफल रहे।
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व एवं व्यावसायिक नैतिकता, व्यावसायिक वित्त के स्रोत अध्याय में अंतर्राष्ट्रीय वित्त के अलावा लघु व्यवसाय को विस्तार से पढ़ाया जाएगा। वहीं, बहीखाता विषय में लेखांकन मानक, वस्तु एवं सेवाकर और लेखांकन में कम्प्यूटर का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
2018 से बोर्ड परीक्षा केंद्रों का निर्धारण कम्प्यूटर के जरिए ऑनलाइन
2019 से सीसीटीवी के साथ वॉयस रिकॉर्डर की निगरानी में परीक्षा
2020 में परीक्षा केंद्रों की वेबकास्टिंग कराने की शुरुआत की गई
2018-19 सत्र से मान्यता संबंधी कार्रवाई ऑनलाइन कराई गई
2017-18 से फर्जी पंजीकरण रोकने को बच्चों के आधार नंबर लिए गए
2019 में 39 विषयों की परीक्षा में दो की जगह एक पेपर देना पड़ा
2018-19 सत्र से कक्षा 9 से 12 तक में एनसीईआरटी कोर्स लागू किया गया
जनहित गारंटी अधिनियम 2011 के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को अंकपत्रों एवं प्रमाणपत्रों में संशोधन, द्वितीय प्रतिलिपि आदि घर बैठे मिल रही है। परीक्षा के लिए केंद्रों के आवंटन से लेकर डिजिटल हस्ताक्षर वाली मार्क्सशीट तक ऐसे दर्जनों काम हैं जो बोर्ड ने तकनीक के माध्यम से बेहतर किए हैं।
समय के साथ बोर्ड ने अपने काम का तरीका भी बदला है। पिछले कुछ सालों में बोर्ड ने तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर नकल पर रोक लगाई है। वहीं, परीक्षार्थियों को सहूलियत दी है। उदाहरण के तौर पर इस साल से स्क्रूटनी के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं।
छात्रसंख्या के लिहाज से यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। 2020 की परीक्षा के लिए 56,07,118 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। जितने छात्र 10वीं-12वीं की परीक्षा देते हैं उतनी दुनिया के 80-85 देशों की आबादी नहीं है।
परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ ही सरकार ने 1972 में मेरठ, 1978 में वाराणसी, 1981 में बरेली, 1986 में इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) तथा 2017 में गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की।
बोर्ड ने 1923 में पहली बार परीक्षा कराई थी जिसमें हाईस्कूल के 5655 और इंटर के 89 छात्र-छात्राएं शामिल हुए थे। 2020 की परीक्षा बोर्ड की 98वीं परीक्षा थी। 2022 में परीक्षा के 100 साल पूरे हो जाएंगे।
वर्ष 2020 के हाईस्कूल और इंटर का रिजल्ट घोषित होने के साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाला यूपी बोर्ड अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर गया। प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के उद्देश्य से इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत माध्यमिक शिक्षा परिषद गठित किया गया था।
जो लोग अपने परिणामों से खुश नहीं हैं वे पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं। पिछले साल, यूपी बोर्ड ने पुनर्मूल्यांकन के लिए अपने शुल्क में पांच गुना वृद्धि की और इस संबंध में सबसे महंगे बोर्ड बन गए।
नए नियमों के अनुसार, पुनर्मूल्यांकन के लिए एक विषय के पेपर को दोबारा प्राप्त करने के लिए, उम्मीदवारों को पहले 100 रुपये के बजाय 500 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके साथ, यूपी बोर्ड की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया देश में सबसे महंगी है।
कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में कुल 74.63 प्रतिशत लड़कियों ने पास किया, जबकि 68.88 प्रतिशत लड़के परीक्षा में सफल हुए। कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में कुल 74.63 प्रतिशत छात्र सफल हुए।