अब इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बीए, बीएससी की पढ़ाई कराई जाएगी। यह फैसला ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने लिया है। एआईसीटीई ने हर साल छात्रों की संख्या में गिरावट के मद्देनजर इंजीनियरिंग कॉलेजों को कला और विज्ञान डिग्री के कोर्स चलाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
‘टीओआई की खबरे के मुताबिक, एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा कि, हर साल बहुत से इंजीनियरिंग कॉलेज की सीट खाली रह जाती हैं। इसे देखते हुए ही हमने उन्हें बीए और बीएससी कोर्स चलाने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा, इंजीनियरिंग कॉलेज होने के कारण वहां भी प्लेग्राउंड और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर एक जैसे ही हैं। जिससे किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। अनिल डी सहस्रबुद्धे ने कहा, इस तरह के कोर्स को शुरू करने की एआईसीटीई की मंजूरी का मतलब यह नहीं है कि कॉलेजों को किसी दूसरे कैंपस की जरूरत होगी। हालांकि इन कोर्सेज के लिए कॉलेजों को अप्लाई करना पड़ेगा।
विश्वकर्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के निदेशक आर एम जल्नेकर ने कहा, अभी तक इस संबंध में कोई परिपत्र प्राप्त नहीं हुआ। अगर एआईसीटीई की तरफ से ऐसा कोई फैसला लिया गया है तो यह अच्छा निर्णय है। वहीं, इस मुद्दे पर पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक बी बी आहूजा ने कहा, एक प्रोफेशन कोर्स के कॉलेज में बीए और बीएससी के कोर्स पढ़ाना बढ़िया फैसला है।
बता दें कि, बीते दिनों ही खाली सीटों के कारण ही एक सिफारिश की गई थी। जिसके तहत अगले साल 2020 से नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर पाबंदी लग सकती है। इंजीनियरिंग कॉलेजों का रिव्यू करते हुए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन की ओर से गठित की गई कमेटी ने यह सिफारिश की है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी देश में 10 हजार से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इन कॉलेजों की करीब आधी सीटें भर ही नहीं पाती हैं। सालाना करीब डेढ़ लाख स्टूडेंट ही इंजीनियर्स बन पाते हैं।