ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की ओर से साझा किए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने बताया है कि 2024 में 7.6 लाख से अधिक भारतीय उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए हैं। यह जानकारी सरकार की ओर से संसद में दी गई। शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने सोमवार को सांसद पीसी मोहन के एक प्रश्न का जवाब देते हुए लोकसभा में यहां आंकड़े पेश किए। हालांकि 2023 के मुकाबले विदेश जाने वाले भारतीय बच्चों की संख्या में थोड़ी गिरावट आई है।

शिक्षा मंत्रालय नहीं रखता यह रिकॉर्ड

सरकार ने संसद में जो आंकड़े पेश किए हैं यह ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के आंकड़े हैं। शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने स्पष्ट किया कि शिक्षा मंत्रालय विदेश जाने वाले छात्रों का प्रत्यक्ष रिकॉर्ड नहीं रखता है, लेकिन BOI के आंकड़े 2023 की तुलना में थोड़ी गिरावट दर्शाते हैं।

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020 में 2.6 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई के लिए विदेश गए, जो 2021 में बढ़कर 4.45 लाख, 2022 में 7.52 लाख और 2023 में लगभग 8.95 लाख के शिखर पर पहुँच गए, और फिर 2024 में थोड़ी गिरावट के साथ 7.6 लाख हो गए।

इन आंकड़ों को पेश करने के साथ-साथ सरकार ने यह भी कहा कि छात्रों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें वीजा प्रक्रिया, शैक्षणिक मान्यता और अन्य देशों के साथ पारस्परिक योग्यता मान्यता (एमआरक्यू) और प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी समझौतों के माध्यम से प्रवासन को सुगम बनाना शामिल है।

विदेशों में छात्रों की सहायता के लिए विदेशों में भारतीय मिशनों और केंद्रों में भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ) की स्थापना की गई है। यह कोष साधन-परीक्षण के आधार पर मौके पर ही कल्याण सहायता प्रदान करता है और छात्रों सहित भारतीय नागरिकों द्वारा किए गए आकस्मिक खर्चों को वहन करता है।

सरकार ने छात्रों को भारतीय मिशनों और मदद पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए भी प्रोत्साहित किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी शिकायतों का समय पर समाधान हो।