सवाल : आपको ऐसी क्या खास बात लगी जो आपने ये फिल्म करने का फैसला किया?
’सबसे पहले तो मुझे इस फिल्म का विषय बहुत पसंद आया। ये कहानी मां बेटे की भावनात्मक कहानी है जिसने मुझे बेहद प्रभावित किया। इसके अलावा मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है कि मैं किन लोगों के साथ काम कर रही हूं। लिहाजा जब ये फिल्म मुझे प्रदीप सरकार द्वारा मिली तो मुझे लगा कि मुझे यह फिल्म करनी चाहिए। क्योंकि प्रदीप सरकार सिर्फ अच्छे निर्देशक ही नहीं अच्छे इंसान भी हैं।

सवाल : हेलिकॉप्टर ईला में आपके बेटे का किरदार निभा रहे रिद्धि सेन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
’रिद्धि सेन बहुत ही अच्छे अभिनेता हैं। सिर्फ 20 साल की उम्र में उन्होंने बंगाली फिल्म ‘नगरकीर्तन’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पाया है। इसके अलावा वो थियेटर कलाकार हैं इसलिए उनका अभिनय बहुत अच्छा है।

सवाल : असल जिंदगी में आप हेलिकॉप्टर ईला के किरदार से कितना जुड़ पाती हैं?
’मैंने हेलिकॉप्टर ईला बनने की कोशिश तो की लेकिन मैं बन नहीं पाई। क्योंकि मेरे बच्चे मुझसे भी ज्यादा चालाक हैं। हमारे बीच पसंद ना पसंद को लेकर लड़ाई होती है, लेकिन कभी कोई ऐसा गंभीर मुद्दा नहीं उठा कि मुझे हेलिकॉप्टर ईला की तरह बनना पड़े। मैं अपने बच्चों की मां कम दोस्त ज्यादा हूं और मैं उनके साथ लड़ाई भी वैसे करती हूं जैसे वो मेरी उम्र के हैं। हमारे बीच अच्छे रिश्ते हैं। मां बनने के बाद मुझमें भी बदलाव आए। जैसे मैंने सब्र करना सीखा, सहन करने की आदत डाली और मेरे स्वभाव में भी नम्रता आई।
सवाल : आपने इस फिल्म से ऐसा क्या सीखा जो बच्चों के साथ खासतौर पर नहीं करना चाहिए?
’सबसे पहले तो किसी का मोबाइल नहीं देखना चाहिए। जो मैं हमेशा देखने की ताक में रहती हूं (हंसते हुए)। दूसरी बात अपने बच्चों के दोस्तों से उनके राज (सीक्रेट) निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। तीसरा और खास अपने बच्चों पर विश्वास करना चाहिए। ये सोच कर कि आपने उनको जैसी परवरिश दी है। उसके बाद वो कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। आज का दौर काफी अलग है। और बच्चों का दिमाग भी उसी हिसाब से विकसित हो रहा है।

सवाल : क्या आपकी मां तनूजा आपके साथ सख्त थीं?
’बिल्कुल नहीं। असल में जब मैं छोटी थी तो बहुत ज्यादा शैतान और मस्तीखोर थी। उस वक्त मैंने मां की बहुत मार खाई है। लेकिन जब मैं 13 साल की हुई तो मेरी मां ने मुझे पास बिठा कर समझाया कि देखो बेटा अब तुम बड़ी हो गई हो इसलिए मैं अब तुम पर कभी हाथ नहीं उठाऊंगी। अब तुम जो भी करो सोच-समझकर अपने हिसाब से करो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।

सवाल : क्या आप अपनी बेटी न्यासा या बेटे के लिए अपने हाथों से खाना बनाती हैं?
’नहीं : मुझे खाना बनाने का बिल्कुल शौक नहीं है। मैंने कभी खाना नहीं बनाया। लेकिन मेरी बेटी न्यासा को खाना बनाने का बहुत शौक है। वो रेसीपी बुक से सीख-सीख कर नई-नई चीजें कोशिश करती रहती हैं। उसे केक कुकीज बनाने का बहुत शौक है। उसने मेरे जन्मदिन पर मेरे लिए सुशी डिश बनाई थी। और अच्छे से मेज पर सजा कर मुझे खिलाया। वो जो भी चीज बनाती है वो स्वादिष्ट बनती है।

सवाल : आपको कब ऐसा लगा कि अब आपको अपने अंदर बदलाव और सुधार लाने की जरूरत हैं?
’मैंने अपने में बदलाव के बारे में उस वक्त महसूस किया जब मैंने न्यासा को जन्म दिया था। पहले बच्चे के बाद हम खुद को कमजोर महसूस करने लगते हैं। उस वक्त मुझे लगा कि जब मैं आईने में खुद को देखूं तो मुझे अपने आप को देखकर खुशी होनी चाहिए ना कि निराशा। उसी दिन मैंने सोचा कि मुझे अपने अंदर बदलाव लाना होगा। अपने आप को और फिट करना होगा। लिहाजा उसके बाद से मैंने अपने आप पर काम करना शुरू कर दिया।

सवाल : ज्यादातर बच्चे अपनी मां को भोला और बेवकूफ समझते हैं। क्या आपके बच्चों ने कभी आपको ऐसा समझा?
’नहीं उनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वो मुझे बेवकूफ या भोला समझें। मैं उनके लिए लेडी सिंघम हूं। उनके लिए मेरी आवाज ही काफी है। जब हमारा झगड़ा होता है तो मैं सिंघम स्टाइल में बोलती हूं अता माझी सटकली।

सवाल : आप कम फिल्में कर रही हैं इसकी वजह निजी जिंदगी में व्यस्तता है या अच्छी फिल्में ना मिलना?
’मैं पहले भी चुनिंदा फिल्में ही करती थी। क्योंकि मैं कभी भी बहुत ज्यादा करिअर ओरियेंटेड नहीं थी। मेरा मानना है कि जिंदगी में काम जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है आपके अपने रिश्ते। जिनकी आप उपेक्षा नहीं कर सकते। आज मैं एक पारिवारिक औरत हूं। मुझे अपने बच्चों और पति पर भी ध्यान देना है। काम के चक्कर में मैं उनसे दूर नहीं हो सकती। अब जैसे हेलिकॉप्टर के प्रमोशन के बाद मुझे बच्चों के लिए हॉलीडे प्लान करना है।
दुर्गा पूजा आ रही है, उसके बाद दिवाली है। ये सब भी अच्छे से मनाना है। यही वजह है कि मैं फिल्में जरूरी करूंगी लेकिन बहुत ज्यादा समय फिल्मों को नहीं दे सकती।