ब्राजील और भारत के उत्तरप्रदेश की जनसंख्या 20 करोड़ ही है। 2.4 मिलियन की जनसंख्या वाले कतर के बराबर उसकी इकनॉमी है। 75 जिले, 814 ब्लॉक्स और 97,607 गांवों वाला उत्तरप्रदेश जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन स्वास्थ्य, पोषण , बुनियादी ढांचे और कवरेज इंडिकेटर्स की नजर से देखें तो इसे सुस्त, धीमे स्तर पर सुधार और इसमें भरी असमानता दिखाई देती है।

आकलन दिखाता है कि उत्तरप्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार ने प्रति व्यक्ति के स्वास्थ्य पर जो सार्वजनिक व्यय किया है वह अन्य चार चुनाव वाले राज्यों में सबसे कम है। गोवा जैसा छोटा राज्य भी अपने लोगों के स्वास्थ्य पर यूपी से 5 गुना ज्यादा खर्च करता है। भारतीय औसत के हिसाब से उत्तरप्रदेश औसतन 70 प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर खर्च करता है। इसके कारण प्रदेश में डॉक्टर्स, नर्स और स्वास्थ्य संस्थानों में सहयोगी स्टाफ की कमी है और हर दो में से एक बच्चे का पूर्ण टीकाकरण भी नहीं हो पाता। प्रदेश के लोगों को अपने 25 प्रतिशत घरेलू खर्चों में से 14 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2016 की स्टडी बताती है कि यूपी में डॉक्टरों की तादाद सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के आधे से भी कम है। भारत में औसतन 38 प्रतिशत स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिलाएं हैं, जबकि प्रदेश में यह शेयर सिर्फ 19.9 प्रतिशत ही है। नर्सों के आभाव वाले 30 जिलों में ज्यादातर यूपी के ही हैं। बाकी बिहार और झारखंड में आते हैं। देश की जनसंख्या का 16.16 प्रतिशत हिस्से वाले यूपी में कुल 10.81 प्रतिशत ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। हालांकि यह रिपोर्ट ताजा जनगणना आंकड़ों पर आधारित है, लेकिन फिलहाल इनकी समीक्षा नहीं हो पाई है। लेकिन एनआरएचएम के आंकड़े बताते हैं कि यूपी के प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में नर्सों की संख्या में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है।

आंकड़ों में दिखी दुर्दशा : उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों पर सरकार के ताजा आंकड़े बहुत अच्छे नहीं हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2016 के मुताबिक यूपी के सीएचसी में 84 प्रतिशत स्पेशलिस्ट्स की कमी है। पीएचसी और सीएचसी को मिला दिया जाए तो यहां जितना स्टाफ होना चाहिए, उसका आधा ही है। तीन में से एक पीएचसी में लैब तकनीशियन नहीं है।

4 प्रतिशत के पास हेल्थ इंश्योरेंस : 2016 में जारी हुए 2015 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बुलेटिन के मुताबिक देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यूपी का शिशु मृत्यु दर के मामले में नीचे से तीसरा स्थान था। यूपी से कई गरीब राज्य भी इस सूची में उससे बेहतर थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु दर के मामले में यूपी दूसरे नंबर पर है। हरियाणा को छोड़ दें तो यूपी में लिंग अनुपात में काफी कम है। यूपी में 75 प्रतिशत लोग जापानी बुखार से मरे थे। उत्तरप्रदेश हर नागरिक के स्वास्थ्य पर सिर्फ 488 रुपये खर्च करता है। 20 करोड़ लोगों में से सिर्फ 4 प्रतिशत के पास ही हेल्थ इंश्योरेंस है।