सिंगर अदनान सामी के भारतीय नागरिकता कबूल करने को लेकर पाकिस्‍तान में माहौल ठीक नहीं है। यहां टीवी कार्यक्रमों में खुद के देश से ‘बेवफा’ हुए सामी पर कटाक्ष किए जा रहे हैं। भारत ने भी सामी को नागरिकता देने में काफी वक्‍त लगाया। सिंगर ने भारत का पंद्रह साल मनोरंजन किया और उन्‍होंने वहां मौजूद किसी अन्‍य मुस्‍लिम सितारे की तरह कामयाबी हासिल की। यहां लोगों में इस बात को लेकर गुस्‍सा है कि सामी ने इंडियन पासपोर्ट हासिल करने के बाद ‘जय हिंद’ ट्वीट क्‍यों किया? अगर सामी ने किताबों में वर्णित जंग लड़ने राष्‍ट्रवाद के तहत ऐसा नहीं किया तो पाकिस्‍तान में किसी को भी उनके इस काम पर अचंभा नहीं करना चाहिए।

अदनान सामी एक साल के वीजा पर 2001 में भारत आए थे जिसकी मियाद पूरी हो गई। इसके बाद, उनके पाकिस्‍तानी पासपोर्ट की मियाद भी खत्‍म हो गई, जिसकी वजह से उनका भारत में रहना गैरकानूनी हो गया। इसके बाद, उन्‍हें इंडियन पासपोर्ट हासिल करने से पहले पाकिस्‍तान की ओर से ‘राष्‍ट्रीयता त्‍यागे जाने’ का सर्टिफिकेट चाहिए था। नई दिल्‍ली स्‍थ‍ित पाकिस्‍तानी हाई कमीशन को सामी ने लिखा, ”अब मुझे ग्रीन पासपोर्ट की जरूरत नहीं है। मुझे भारत में अपना घर मिल गया है।” सामी के ऐसा लिखने से हाई कमीशन के राजनयिक भड़क गए। उन्‍होंने सिंगर से अपने बर्ताव के लिए बिना शर्त माफी मांगने और सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए सही प्रक्रिया अपनाने को कहा। उधर, सामी के भारत में रहने को कानूनी आधार पर मंजूरी दे दी गई। उन्‍हें फॉरेनर्स एक्‍ट के सेक्‍शन 3 से छूट मिल गई। सामी की ओर से पाकिस्‍तान को दिए गए ‘घावों’ को लेकर यहां के टीवी एंकर्स ने हायतौबा मचाना शुरू कर दिया।

भारत से ‘विभाजन’ के मद्देनजर पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रवाद और यहां की कोर्स की किताबें किसी की एकल पहचान पर जोर देती है। अगर भारत का स्‍लोगन एकता है तो पाकिस्‍तान का स्‍लोगन पहचान है। पाकिस्‍तान धर्म को एक दूसरे से जोड़ने के लिए इस्‍तेमाल करता है। उर्दू वर्जन में जिन्‍ना के बुनियादी नारे unity-faith-discipline में से फेथ को सबसे पहले रखकर इसस नारे से छेड़छाड़ की गई। पाकिस्‍तान में राष्‍ट्रनिर्माण की प्रक्रिया ‘बहिष्‍कार’ के सिद्धांतों पर आधारित हो गई। इसके जरिए न केवल गैर मुस्‍ल‍िम जबकि मुस्‍ल‍िमों को भी त्‍यागा गया। जैसा कि अमर्त्‍य सेन ने आरएसएस-शिवसेना की मंडली से पूछा कि क्‍या सिर्फ एक विशिष्‍ट पहचान को थोपकर कोई राष्‍ट्र अस्‍त‍ित्‍व में बना रह सकता है? 2006 में आई अपनी किताब
Identity and Violence: the Illusion of Destiny (2006) में उन्‍होंने कहा है कि एक सम्‍पूर्ण नागरिक वो है, जिसकी एक के बजाए कई पहचान हों। सिंगर के तौर पर अदनान सामी अपने अंदर कई पहचान समेटे हुए हैं। भारत और पाकिस्‍तान को सेन की उस बात पर ध्‍यान देना चाहिए, जिसमें वे कहते हैं कि कोई एकल पहचान प्रकृति के खिलाफ है और असहिष्‍णुता के जरिए हिंसा को जन्‍म देता है।

लेखक और कलाकार ऐसे लोग हैं, जो किसी भी राष्‍ट्र के लिए समस्‍या पैदा करते हैं। वे करीब के देशों के लिए भी खतरा बन जाते हैं, जिसे ‘सांस्‍कृतिक घुसपैठ’ का नाम भी दे दिया जाता है। ग्‍लोबलाइजेशन और ओपन इकोनॉमी के दौर से पहले भारतीय और पाकिस्‍तानी इसी तरह ‘पश्चिमी घुसपैठ’ का विरोध करते थे। पाकिस्‍तान का जोर भारत से अलग होने पर रहा और उसने पड़ोसी से सभी तरह की सांस्‍कृतिक जुड़ाव खत्‍म करके इतिहास दोबारा से लिखने की कोशिश की। वक्‍त के साथ भारतीय टीवी चैनल ‘सांस्‍कृतिक घुसपैठ’ का जरिया बन गए। हालांकि, ऐसा तब तक ही हुआ, जब तक कि इन चैनल्‍स को केबल नेटवर्क से हटा नहीं दिया गया। हालांकि, सांस्‍कृतिक तौर पर क्षुधातुर पाकिस्‍तान से बॉलीवुड को अलग नहीं रखा जा सका।

सामी भारत में इसलिए नहीं बस गए क्‍योंकि वे पाकिस्‍तान से नफरत करते थे। उनका वहां रहना किसी पाकिस्‍तानी के अमेरिका में अपनी व्‍यवसायिक पनाह हासिल करने जैसा है। ऐसे में पाकिस्‍तानी न्‍यूज चैनल्‍स को उन्‍हें क्‍यों कोसना चाहिए? होना तो यह चाहिए कि भारतीय कट्टरपंथी सामी की इस नई वफादारी की परीक्षा लें और पाकिस्‍तान इस सिंगर के टैलेंट का आनंद उठाए। पाकिस्‍तान में जो लोग देश की ‘एकल पहचान’ में भारत की ‘सांस्‍कृतिक घुसपैठ’ के बारे में लिखते हैं, वे सभ्‍यता के पनपने से जुड़े रहस्‍यमयी तरीकों से अंजान हैं। पाकिस्‍तान में ‘सांस्‍कृतिक घुसपैठ’ की अगुआई भारत के सलमान, शाहरुख और आमिर खान जैसे मुस्‍ल‍िम एक्‍टर करते हैं। उनके पाकिस्‍तानी फैंस यहां की सरकार को इन सितारों की फिल्‍मों को सिनेमा में पहुंचने से रोकने नहीं देंगे। अब जब भारत ने पाकिस्‍तान के एक बेटे को कबूल कर लिया है, इसे पाकिस्‍तान के फायदे के तौर पर देखना चाहिए। इस बारे में चिंता तो शिवसेना को करनी चाहिए। इसके अलावा, सामी जब वीजा लेकर पाकिस्‍तान आएं तो एक महान टैलेंट के तौर पर उनका स्‍वागत भी किया जाना चाहिए।

(लेखक न्‍यूजवीक पाकिस्‍तान के कंसल्‍ट‍िंग एडिटर हैं)