‘देर से मिला न्‍याय, न्‍याय नहीं होता’, इस कहावत को मद्रास हाईकोर्ट ने चरितार्थ करके दिखाया है। जस्टिस एस वैद्यनाथन ने शनिवार को घर बैठकर Skype के जरिए एक अर्जेंट पिटिशन को सुना और ऑर्डर मेल पर भेज दिया। इसे देश में इस तरह की अदालती कार्यवाही का यह पहला मामला बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, यह केस तमिलनाडु के रामनाथपुरम का है, जहां एक चर्च में शादी के लिए सुरक्षा संबंधी याचिका बिल्‍कुल अंतिम समय पर दाखिल की गई। याचिका दाखिल करने वाले एम जेशु ने दावा किया कि पुलिस की गड़बड़ी की वजह से उन्‍हें अदालत का सहारा लेना पड़ा, लेकिन समय कम था, इसलिए उन्‍होंने जज साहब को सभी डॉक्‍यूमेंट स्‍कैन करके ई-मेल पर भेज दिए। जस्टिस वैद्यनाथन ने केस की सुनवाई की और शनिवार रात 8 बजे पुलिस को शादी समारोह की सुरक्षा का आदेश जारी कर दिया।

दरअसल, दिवाली की वजह से अधिकतर जज छुट्टी पर थे और जब यह याचिका आई तो मामला जस्टिस वैद्यनाथन के पास पहुंचा। उन्‍होंने समय रहते कार्यवाही करके देश के सामने नई मिसाल पेश की है। शाही समारोह में आखिर दिक्‍कत क्‍या थी, इस बारे में विस्‍तार से जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है, लेकिन बताया जा रहा है कि याचिकाकर्ता और चर्च के प्रतिनिधियों के बीच किसी बात पर विवाद था, जिसकी वजह से शादी में परेशानी आ रही थी। याचिकाकर्ता के मुताबिक, पुलिस भी चर्च के अधिकारियों का ही साथ दे रही थी। जस्टिस वैद्यनाथन ने हाईकोर्ट की बेंच के एडमिनिस्‍ट्रेटिव जज वी रामासुब्रमण्‍यम की सलाह पर इस केस की सुनवाई वीडियो चैट साइट Skype के जरिये की।