वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने टेक्सटाइल मिनिस्टर स्मृति ईरानी को खुला खत लिखा है। इसमें उन्होंने स्मृति ईरानी पर आरोप लगाया है कि वे सोशल मीडिया या उसके बाहर सेक्सिजम (लिंगभेद) का शिकार होने वाली महिलाओं के लिए कभी खड़ी नहीं हुईं। बता दें कि स्मृति को हाल ही में मानव संसाधन मंत्रालय से हटाकर टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में लाया गया है। यह खबर आने के बाद टि्वटर पर स्मृति ईरानी को ट्रोल किया गया। कुछ यूजर्स ने तो महिला विरोधी कमेंट्स भी किए थे।
एनडीटीवी की कंसल्टिंग एडिटर बरखा ने अपने लेटर की शुरुआत में लिखा, ‘डियर स्मृति, आपकी रूलबुक के हिसाब से आपको इस शब्द से संबोधित करना गलत और महिला विरोधी है। एक ऐसा विवाद जो उन गैर जरूरी झगड़ों का प्रतीक बन गया, जिन्हें आपने कभी खुद पैदा किया और लड़ीं।’ बरखा ने आगे लिखा, ‘सही मायने में कुछ मामलों में आपको जिस छिद्रान्वेषण से गुजरना पड़ा, फिर चाहे वो उपहास, घटिया जोक्स, अश्लील टिप्पणी या मूर्खतापूर्ण अफवाहें हों, वो सभी पूरी तरह महिला विरोधी थे। कोई भी पुरुष राजनेता, चाहे वो कितना भी विवादास्पद, अक्खड़ या घमंडी हो, इस स्तर के टीका टिप्पणी से नहीं गुजरा।’
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बरखा ने आगे लिखा, ‘बतौर फेमिनिस्ट, हमें सेक्सिजम के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। हर बार जब यह आपके साथ होता है तो यह हमारे साथ भी होता है। संसद में शरद यादव की आपको लेकर की गई टिप्पणी हो या फिर कांग्रेस के तहसीन पूनावाला की no HRD feelings वाली टिप्पणी। हममे से बहुत सारे लोग हर मायने में चिंतित थे। मैं तो बिलकुल। यह बेहद डरावना था कि कैसे आजाद और कामयाब महिलाओं को इन सब चीजों से गुजरना पड़ता है। एचआरडी से टेक्सटाइल भेजे जाने के बाद आपको लेकर हो रही सिलेक्टिव बहस से मैं असहमत हूं। मेरी समस्या इस बात से है कि जहां आपके समर्थक आपको महिलाओं के साथ होने वाले पक्षपातपूर्ण बर्ताव की पीडि़त के तौर पर पेश कर रहे हैं, वहीं इस ओर ध्यान दिलाने का सही वक्त है कि आप उस सेक्सिजम के खिलाफ कभी नहीं खड़ी हुईं, जिसका कई महिलाओं को सोशल मीडिया या उसके बाहर सामना करना पड़ता है। एक बार भी नहीं।’