अपने कॉलेज में विद्यार्थियों की अंग्रेजी में लिखी उत्तर पुस्तिका जांचते हुए कई दिलचस्प बातें सामने आर्इं। काफी छात्र-छात्राओं ने अंग्रेजी शब्द ‘बिटविन’ का ‘बी/डब्ल्यू’ लिखा था और ‘यू’, ‘वी’\ और ‘आर’ जैसे अंग्रेजी शब्द को तो हर जगह सभी ने क्रमश: अंग्रेजी अक्षर में लिख दिया था। शुरू में तो मैंने हर शब्द पर लाल पेन से गोले बनाए, लेकिन कब तक ऐसा करती! इसलिए तय किया कि इस मुद्दे पर अगले दिन कक्षा में चर्चा करूंगी। कक्षा में विद्यार्थियों से दरियाफ्त की तो सबने कहा कि मैडम ‘फेसबुक और वाट्सऐप पर इसी तरह लिखते-लिखते हाथों को वैसी ही आदत पड़ गई है और अब कौन इस तरह पूरे शब्द लिखने में समय खराब करे!’ विद्यार्थियों की बातों से लगा कि क्या आज के दौर में भाषा और व्याकरण की उपयोगिता समाप्त होती जा रही है! क्या हम एक नई भाषा गढ़ रहे हैं, जिसका कोई व्याकरण नहीं है और जिसकी जननी सिर्फ जीवन में समय की कमी और भाग-दौड़ की अति है?
हाल ही में आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ‘वर्ड आॅफ ईयर’ यानी साल के शब्द के रूप में एक ‘इमोजी’ यानी चेहरे के भाव को दर्शाने वाले संकेतक को चुना है, जिसके हंसते-हंसते आंखों में आंसू आ गए हैं। हालांकि इस बात का कुछ विरोध भी हम कर सकते हैं कि क्या कोई ‘इमोजी’ शब्द की पूरी तरह जगह ले सकता है? अब सवाल है कि यह इमोजी क्या है? इमोजी दरअसल जापानी भाषा का एक शब्द है जिसमें ‘इ’ का मतलब तस्वीर और ‘मोजी’ का अर्थ है कैरेक्टर, यानी पिक्टोग्राफ। आसान भाषा में कहें तो हमारी भावनाओं को व्यक्त करती एक काल्पनिक चेहरे की आकृति।
अब अगर मुख्य मुद्दे की बात करें तो आजकल फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर जन्मदिन की शुभकामनाएं देने का चलन खूब बढ़ा है। लेकिन अगर हम इस पर गौर करें तो पता चलेगा कि जन्मदिन के मौके पर ज्यादातर शुभकामनाएं अंग्रेजी में ‘एचबीडी’ (‘हैप्पी बर्थ डे’ का संक्षेप) लिख कर दे दी जाती हैं। अगर ‘एचबीडी’ को हम गूगल इंडिक पर टाइप करें तो यह हिंदी में परिवर्तित होकर ‘हबड़’ बन जाता है। इसका सामान्य अर्थ निकालें तो जल्दबाजी या हड़बड़ी होगा। क्या हम जीवन की आपाधापी में इतने ज्यादा व्यस्त हो गए हैं कि जन्मदिन की शुभकामनाएं भी किसी तरह बस निबटा भर रहे हैं?
यों इस प्रसंग में सकारात्मक रूप से देखा जाए तो इन वेबसाइटों की वजह से ही हम एक दूसरे को जन्मदिन की बधाई दे पाते है, क्योंकि ये हमें याद दिलाती हैं कि आज आपकी मित्र सूची में शामिल व्यक्ति का जन्मदिन है। वरना तो अपने संपर्क में जितने लोग होते हैं, उनमें से हर किसी का जन्मदिन याद रखना भी थोड़ा कठिन है। लेकिन इस सुविधा का हम खुद ही पूरी तरह फायदा नहीं उठा रहे हैं। हमारे ठीक तरह से शुभकामनाएं लिखने से हमारे संपर्क के किसी भी व्यक्ति को अच्छा लगेगा। लेकिन अभी वाक्यों को संक्षेप में शब्द भी नहीं, बल्कि अक्षर बना कर भेजने से तो ऐसा लगता है कि जैसे बस यह काम किसी तरह बेमन से हड़बड़ी में निपटाया जा रहा है। ठीक यही बात शोक संदेशों पर भी लागू होती है, जिनमें सिर्फ ‘आरआइपी’ (रेस्ट इन पीस) लिख कर काम चला लिया जाता है।
आजकल ऐसा लगता है कि जीवन का ध्येय सिर्फ पैसा कमाना रह गया है। पैसे कमाने की दौड़ में हम रिश्तों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। आज एक घर में लगभग हर सदस्य के पास मोबाइल फोन है। बल्कि कई बार एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा फोन भी हैं। हर मोबाइल फोन में हर किसी की अपनी दुनिया है। अब यह दुनिया भी हमारे लिए जरूरी बन चुकी है तो क्यों न हम अपने आसपास की दुनिया के साथ-साथ इस आभासी दुनिया में रिश्तों को जोड़ने का प्रयास करें, न कि सिर्फ औपचारिकता निभा देने भर के बारे में सोचें!
इसी तरह, शब्दों को उनके छोटे रूप में इस्तेमाल करने से पहले यह जरूर सोचना चाहिए कि हम ये शब्द कहां इस्तेमाल कर रहे हैं। मसलन, इ-मेल लिखते समय या परीक्षा में लिखते समय इस बात का खास खयाल रखने की जरूरत है कि शब्द पूरे लिखे जाएं, उनके छोटे रूप नहीं। वरना वह दिन दूर नहीं, जब इस तरह शब्दों के छोटे रूप से एक पूरी भाषा विकसित हो जाएगी, जिसका कोई व्याकरण नहीं होगा और जिसकी हर कोई अपनी सुविधानुसार विवेचना करेगा। फिर जब कोई पूरे शब्द लिखेगा तो वे हमें अजीब लगेंगे और उससे भी एक कदम आगे बढ़ कर अगर ‘इमोजी’ की कोई भाषा विकसित हो गई तो उसे सबके लिए समझना और भी मुश्किल होगा।
आभाषी दुनिया की भाषा
अपने कॉलेज में विद्यार्थियों की अंग्रेजी में लिखी उत्तर पुस्तिका जांचते हुए कई दिलचस्प बातें सामने आर्इं।
Written by पारुल जैन

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First published on: 27-11-2015 at 23:34 IST