सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया। महिला पर पति की हत्या करने का आरोप था। पति ने महिला को वेश्या कहा था, जिसके कारण पत्नी ने उसकी हत्या कर दी। हालांकि अब उच्चतम न्यायालय ने पति द्वारा उसे वेश्या कहने को आधार मानते हुए कहा कि यह अचानक और गंभीर उकसावे की वजह से हुआ। जिससे वह गुस्से में आग बबूला हो गई। शीर्ष अदालत में जस्टिस एम एम शांतानागौदर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच में यह मामला आया था। यहां कहा गया कि आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 1 के दायरे में आएगा। इस उकसावे के तहत की गई हत्या को गैर इरादतन हत्या माना जाएगा।
दर्ज मामले के अनुसार, 2002 में मृतक को अपनी पत्नी पर अभियुक्त नंबर दो (नवाज) के साथ अवैध संबंध रखना का शक था। घटना के दिन पति का पत्नी से झगड़ा हुआ और उसने पत्नी को वेश्या कह दिया। साथ ही कहा कि तुम अपनी तरह ही बेटी (17 साल) को भी वेश्या बना दोगी। पति और पत्नी के बीच जारी झगड़े के दौरान महिला का प्रेमी वहीं आ गया। वेश्या सुन पहले से आगबबूला महिना ने प्रेमी के साथ मिलकर पति का गला घोंट दिया। इसके बाद हत्या के मामले से बचने के लिए शव को जला दिया।
इसी मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, कोर्ट ने कहा, मृतक द्वारा वेश्या कहा जाना गंभीर रूप से उकसाने वाला था। हमारे समाज की कोई महिला अपने पति से वेश्या कहलाना बर्दाश्त नहीं करती। खास तौर यह शब्द अपनी बेटी के लिए तो किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। अचानक पैदा हुए कारण से दोनों ने सेकंडों में उसकी हत्या कर दी।
कोर्ट ने कहा कि, उन्हें धारा 201 के तहत सजा दिया जाना उचित है। पीठ ने कहा, केस की स्थितियों को देखते हुए यह मामला आईपीसी की धारा 304 भाग 1 में आएगा। धारा 302 के तहत केस नहीं बनता। इसलिए दोनों को 10 साल कैद की सजा मिलेगी।

