यह महिला अपने बॉस के बार-बार आने वाले फोन कॉल से तंग आ गई थी। दरअसल उसका बॉस फोन पर उससे अश्लील बातें करता था और गंदी डिमांड भी करता था। आजिज आकर इस महिला ने अपने बॉस की बातें रिकॉर्ड करनी शुरू कर दी। इस मामले में अदालत ने महिला को दोषी पाया है और उसे सजा भी सुनाई है। महिला के वकील ने अदालत में कहा कि उसने ऐसा अपनी सुरक्षा के लिए किया। लेकिन इंडोनेशिया की सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते इस महिला को इस मामले में सजा सुनाया क्योंकि अदालत की नजरों में उसने यह रिकॉर्डिंग शेयर की थी। कोर्ट के इस फैसले पर यहां महिला अधिकारों से जुड़े वकीलों ने हैरानी जताते हुए कहा कि ‘अदालत उस महिला को आरोपी मानती है जिसने यौन यातनाएं झेली जबकि वो शख्स आजाद हो गया है जिसने उसने प्रताड़ित किया।’ न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत करते हुए Legal Aid Foundation for the Press के प्रमुख एड वेयुदिन ने कहा कि ‘हमें कोर्ट के इस फैसले से ऐसा लगता है कि इससे यौन हिंसा करने वाले अपराधियों के लिए नया रास्ता खुल जाएगा।’

यह मामला साल 2015 में उस वक्त उजागर हुआ जब इस महिला के बॉस को यह रिकॉर्डिंग मिली और उसने थाने में महिला कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। जानकारी के मुताबिक यह दोनों इंडोनेशिया के लोमबोक आईलैंड स्थिति सीनियर हाई स्कूल में कार्यरत थे। महिला यहां बुककीपर के पद पर थीं और उसके बॉस स्कूल के प्रिंसिपल। ‘रॉयटर्स’ ने अदालती दस्तावेजों के हवाले बताया है कि महिला के बॉस ने उसे साल 2012 की शुरुआत से फोन करना शुरू किया था। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक उसने यह रिकॉर्डिंग इसलिए कि ताकि वो अपने पति को बता सके कि उसके और उसके बॉस के अफेयर को लेकर जो कुछ भी कहा जा रहा है वो सिर्फ अफवाह है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक महिला ने कहा है कि उसने कभी भी यह रिकॉर्डिंग किसी को शेयर नहीं की बल्कि स्कूल के एक शिक्षक ने यह रिकॉर्डिंग उस वक्त उसके मोबाइल फोन से चुराया जब वो स्कूल के कमरे में नहीं थी।

इससे पहले महिला इस मामले की जांच के दौरान भी एक महीने जेल में रह चुकी है। इसके बाद उसकी तरफ से अदालत में अपील दायर की गई थी। इसके बाद अदालत ने इस मामले में महिला को दोषी पाते हुए उसे छह महीने की सजा दी और करीब 35,000 डॉलर का जुर्मान भी लगाया। इसके बाद उसने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम अदालत में पुर्नविचार याचिका दायर की जहां अदालत ने यह पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। अगर महिला का परिवार जुर्माना नहीं दे पाया तो उसकी सजा और भी बढ़ा दी जाएगी।

बता दें कि अब इस महिला के पास प्रेसिडेंट के पास दया याचिका दायर करने का एक मात्र उपाय बचा है। महिला के वकील अज़ीज़ फौज़ी ने रॉयटर्स से बातचीत करते हुए कहा कि अब इस महिला के पास कानूनी तौर से प्रेसिडेंट के सामने दया की अर्जी लगाने के सिवा और कोई विकल्प नहीं बचा है। (और…CRIME NEWS)