एक महिला का पति पिछले साथ सालों से ग्लालियर के सेंट्रल जेल में बंद है। अब महिला ने पैरोल के लिए अर्जी दी है। अपने आवेदन में महिला ने लिखा है कि वह एक बच्चा चाहती है। इसलिए अपने पति को पैरोल पर जेल से बाहर चाहती है। महिला शिवपुरी की रहने वाली है। उसे शादी के बाद वह अधिकार नहीं मिला जो एक पत्नी चाहती है। वह तो शादी के बाद से ही पति से दूर है। शादी का सुख क्या होता, परिवार क्या होता है, मां बनना क्या होता है यह वह नहीं जानती।

इसी कारण शख्स के परिवार ने ग्वालियर जेल अधिकारी से संपर्क किया है। उन्होंने कहा है कि उनके बेटे दारा सिंह को जाटव को उसकी शादी के तुंरत बाद एक हत्या के मामले में जेल में बंद कर दिया गया।

शादी की जश्न भी नहीं पूरा हुआ था

दारा सिंह के पिता करीम सिंह जाटव का कहना है कि जब उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया तो उसकी शादी का जश्न भी नहीं मना था। घर की खुशियां गम में तब बदल गईं थीं जब उनके बेटे को जेल हो गया। उनका आगे कहना है कि वे औऱ उनकी बीमार पत्नी अब पोता चाहते हैं इसलिए अपने बेटे को कुछ दिन के लिए जेल से बाहर देखना चाहते हैं ताकि उनके घर में किलकारी गूंज सके, घर में नया मेहमान आ सके। वे इस खुशी के लिए तरस गए हैं।

आजीवन कारावास की काट रहा कैदी को पैरोल का अधिकार

कैदी की रिहाई का प्राथर्ना पत्र शिवपुरी एसपी के पास भेजा गया था। वहीं इस मामले में ग्वालियर सेंट्रल जेल के अधीक्षक विजित सिरवैया का कहना है कि आजीवन कारावास की सजा काट रहा कोई भी कैदी दो साल पूरा होने पर पैरोल का हकदार है। अगर दूसरे कैदियों और जेल अधिकारियों के साथ उसका व्यवहार ‘अच्छा’ है तो वह पैराल पर जेल से बाहर जा सकता है। हालांकि पैरोल देना या ना देना का अंतिम फैसला जिला कलेक्टर के पास है। अब देखना है कि जिला कलेक्टर महिला की गुहार पर क्या फैसला देते हैं?