आज कहानी इंडियन एयरलाइंस के एक विमान हाईजैकिंग की जिसने 24 अगस्त, 1984 को चंडीगढ़ से जम्मू जाने के लिए उड़ान भरी थी। इस विमान में पायलट-क्रू मेंबर समेत करीब 100 लोग सवार थे। विमान ने उड़ान भरी ही थी कि कुछ सिख नौजवान हाईजैकर्स ने कृपाण लहराते हुए चेतावनी दी कि विमान हाईजैक किया जा चुका है। सुबह 07:30 बजे का समय था और कुल सात अपहरणकर्ताओं ने इस वारदात को अंजाम दिया था।

24 अगस्त, 1984 को इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को 18 से 20 साल के अपहरणकर्ताओं ने हाईजैक कर लिया। यह पहले कॉकपिट में घुसे और फिर हाईजैकिंग की बात कही। सात हाईजैकर्स में से कुछ खालिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे थे। हथियार के नाम पर इनके पास केवल कृपाण और पगड़ी में इस्तेमाल होने वाले सुए थे। विमान उड़ा रहे पायलट वीके मेहता को कहा गया कि विमान अमृतसर ले चलें और स्वर्ण मंदिर की परिक्रमा करें।

पायलट ने बात मानी और करीब दो चक्कर लगाए लेकिन हाईजैकर्स ने कहा कि प्लेन को लाहौर ले जाया जाए। विमान लाहौर पहुंचा लेकिन पाकिस्तानी एयरपोर्ट के अधिकारियों ने विमान को लैंड करने की मंजूरी नहीं दी। सुबह के 10 बजने वाले थे और विमान में ईंधन लगातार कम हो रहा था। ऐसे में पायलट ने इमरजेंसी मैसेज भेजा और फिर पाक मान गया। इधर देश में कमांडो ऑपरेशन की योजना थी, क्योंकि हाईजैकर्स के पास आधुनिक हथियार नहीं थे।

इस दौरान भारत की पीएम इंदिरा गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक को संदेश भिजवाया कि वह विमान को पकिस्तान से बाहर न जानें दें। लेकिन जियाउल हक ने इंदिरा गांधी के अनुरोध को ठुकरा दिया। फिर पकिस्तान में भारतीय दूतावास के अधिकारियों को मौके पर पहुंचने का आदेश दिया गया लेकिन जब तक वह पहुंचे विमान ईंधन भरकर उड़ चला। फिर हाईजैकर्स ने विमान को अमेरिका ले चलने के लिए कहा।

पायलट ने बताया कि यह विमान घरेलू उड़ानों के लिए है। इसे अमेरिका नहीं ले जाया जा सकता है। ऐसे में एक अपहरणकर्ता ने पायलट पर बंदूक तानकर विमान को बहरीन ले जाने के लिए कहा। पायलट मेहता हैरान रह गए कि जो हाईजैकर्स थोड़ी देर पहले तक कृपाण दिखा रहे थे, उनके पास बंदूक कहां से आई? हालांकि, बाद में एक ब्रिटिश नागरिक ने बताया था कि लाहौर एयरपोर्ट पर एक पाक अधिकारी ने उन्हें एक लिफाफा सौंपा था।

पायलट के बहरीन जाने से मना करने पर हाईजैकर्स ने कहा विमान को दुबई ले चलो। विमान दुबई के ऊपर पहुंचा लेकिन अधिकारियों ने लैंडिंग की अनुमति नहीं दी। काफी देर तक विमान चक्कर काटता रहा और फिर पायलट ने एटीसी दुबई को संदेश भेजा कि हम पर रहम करिए, प्लेन में केवल 5 मिनट का ईंधन बाकी है। इस बीच तैयारी चल रही थी कि यदि अनुमति नहीं मिली तो विमान को समंदर में ही लैंड करना पड़ेगा।

हालांकि, इमरजेंसी संदेश के बाद दुबई एटीसी ने एयरपोर्ट खोल दिया और विमान सकुशल उतर गया। इसके बाद यूएई के तत्कालीन रक्षा मंत्री, यूएई में भारत के तत्कालीन राजदूत और अन्य अधिकारियों ने हाईजैकर्स से बातचीत की। अपहरकर्ताओं ने पहली मांग रखी कि उन्हें अमेरिका में शरण देने की शर्त मानी जाए लेकिन अमेरिका ने साफ इंकार कर दिया। हालांकि, बाद में अपहरणकर्ताओं ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था।