मशहूर स्मगलर और माफिया हाजी मस्तान की फिल्मी हस्तियों के साथ दोस्ती से जुड़े कई किस्से सुनने को मिलते हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन की फ्रेंडलिस्ट में दिलीप कुमार सरीखे सुपरस्टार का नाम भी शुमार माना जाता था। कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में दोनों को एक साथ देखा गया था। दिलीप कुमार सिर्फ फिल्मी सितारे ही नहीं थे, उनकी हैसियत को समाज में अलग मुकाम मिला हुआ था। वह समाजिक कामों में खासी रुचि रखते थे, शायद इसीलिए सभी धर्म, जाति, उम्र के लोगों में उनका बराबर क्रेज थे। वह अक्सर भेंडी बाजार में हाजी मस्तान के साथ देखे जाते थे।
विवेक अग्रवाल ने अपनी किताब ‘अंडर वर्ल्ड बुलेट्स’ में उस वजह के बारे में बताया है, जिसके कारण दिलीप कुमार एक नामी तस्कर के साथ भेंडी बाजार जाया करते थे। किताब के अनुसार उन दिनों आल्मा मातेर अंजुमन-ए-इस्लाम स्कूल की नई ब्रांच खोली जा रही थी। इसके लिए काफी पैसे की जरूरत थी। दिलीप कुमार के पास भी इतना पैसा नहीं था कि वह स्कूल बनवा सके। ऐसे में स्कूल के लिए धन संग्रह अभियान शुरू किया गया।
दरअसल दिलीप कुमार चाहते थे कि स्कूल में जनभागीदारी भी हो ताकि लोग इसे अपना समझें। सुपरस्टार ने पैसे जमा करने की इस मुहीम में हाजी मस्तान से मदद के लिए कहा था, मस्तान तैयार हो गए, क्योंकि इसके जरिए डॉन को भी अपनी छवि सुधारने का एक मौका मिल गया।
दिलीप कुमार ने इसी स्कूल से पढ़ाई भी की थी, स्टार बनने के बाद वह स्कूल के लिए कुछ करना चाहते थे लिहाजा वह स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए काफी दिनों तक काम करते रहे, उन्होंने हाजी मस्तान के अलावा करीम लाला और युसूफ पटेल से मदद और साथ मांगा था। किताब के अनुसार सभी ने साथ दिया था लेकिन हाजी मस्तान, दिलीप कुमार के साथ कदम से कदम मिलाकर चला करता था।
दिलीप कुमार और हाजी मस्तान की जोड़ी ने भेंडी बाजार से लेकर डोंगरी, नागपाड़ा, मदनपुरा जैसे इलाकों में खूब फंड इकट्ठा किया। वह झोली ले लेकर गली मोहल्लों में जाया करते थे। एक फिल्म सितारा के साथ अपने चहेते हाजी मस्तान को देखने के बाद लोगों ने दिल खोलकर दान किया, जिसका परिणाम ये हुआ कि उस पैसों से नागपाड़ा की बेलासिस रोड पर अंजुमन-ऐ-इस्लाम उर्दू गर्ल्स स्कूल बनाया गया। लोग पुराने समय को याद करते हुए बताते हैं कि हाजी और दिलीप कुमार खाली चद्दरों के साथ मोहल्लों में घुसते थे और जब बाहर आते थे तो सिक्कों की खनखनाहट, लोगों के प्यार को बयां कर रही होती थी।