अक्सर हम खबरों में सुनते /देखते/पढ़ते हैं कि फलाने शख्स को हिरासत में ले लिया गया। या फिर सुनते हैं कि किसी आरोपी को किसी निश्चित समयावधि के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। ऐसे में अधिकतर लोगों को लगता है कि दोनों एक ही प्रक्रिया हैं लेकिन इन दोनों में फर्क होता है। तो आइए जानते हैं कि क्या होता है अंतर?

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

हिरासत का होता है एक खास मकसद

जुर्म से जुड़े मामलों में किसी भी आरोपी को न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत (Police Coustody) में रखा जाता है। इसके पीछे एक खास मकसद होता है, हालांकि या जरूरी नहीं है कि हिरासत में आरोपी को गिरफ्तार किया ही जाए जबकि गिरफ्तारी में हिरासत होती ही होती है। किसी भी आरोपी को पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में एक खास मकसद से रखा जाता है।

आरोपी को हिरासत में इसलिए रखा जाता है ताकि वह केस से जुड़े किसी सबूत के साथ छेड़छाड़ या किसी गवाह को धमका/ प्रभावित न कर सके। कई लोगों को ऐसा लगता है कि हिरासत में लेना, गिरफ्तार करना होता है लेकिन ऐसा नहीं है।

क्या होती है न्यायिक हिरासत (Judicial Coustody)

किसी भी अपराध में जब कोई आरोपी मजिस्ट्रेट के पास पेश किया जाता है तो वहां उसकी हिरासत तय की जाती है। मजिस्ट्रेट ही तय करता है कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखना है या फिर पुलिस हिरासत में भेजना है। जिन मामलों में आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है, उसमें पुलिस को किसी भी तरह की पूछताछ के लिए अदालत से इजाजत लेनी होती है।

न्यायिक हिरासत (Judicial Coustody) में भेजे गए आरोपी की पूरी सुरक्षा अदालत के अधीन होती है। किसी मामले में आरोपी को न्यायिक हिरासत में तब तक रहना पड़ सकता है, जब तक कि उसमें जमानत न मिल जाए या फिर जब तक कि मामला खत्म न हो जाए।

क्या है पुलिस हिरासत (Police Coustody)

किसी भी आपराधिक मामले में जब पुलिस किसी आरोपी को गिरफ्तार करती है और हवालात में डालती है तो उसे पुलिस हिरासत कहते हैं। हिरासत में लेने के बाद पुलिस आरोपी से संबंधित मामले में पूछताछ कर सकती है। इसके लिए उसे मजिस्ट्रेट से इजाजत की आवश्यकता नहीं होती है।

क्या है नियम

नियमानुसार, पुलिस हिरासत में रखे गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर नजदीकी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना ही होता है, जिसके बाद मजिस्ट्रेट आरोपी को न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला लेते हैं। पुलिस हिरासत के दौरान आरोपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस विभाग देखता है।