आज की डिजिटल दुनिया में हर चीज के नफा-नुकसान हैं। ऐसे में रैनसमवेयर भी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। ऑनलाइन फ्रॉड आज के डिजिटल जमाने का बड़ा अपराध है जिसके कई लोग शिकार हो रहे हैं। इसी कड़ी में डिजिटल फिरौती के तौर पर रैनसमवेयर अटैक को इस्तेमाल में लाया जाता है। इसके नाम से पता चलता है कि यह डिजिटल फिरौती की शक्ल है।

क्या है रैनसमवेयर: रैनसमवेयर (Ransomware) का शाब्दिक अर्थ देखें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला रैनसम और दूसरा वेयर यानी रैनसम का मतलब फिरौती और वेयर का अर्थ सॉफ्टवेयर से है। इसका पूरा मतलब फिरौती मांगने वाला सॉफ्टवेयर हुआ। हालांकि, यह रैनसमवेयर एक तरह का मैलवेयर है जो किसी भी डिवाइस को कंट्रोल कर लॉक कर देता है। इससे कोई भी यूजर डिवाइस पर लॉग इन या एक्सेस नहीं कर पाता है। इसके बाद हैकर आपका डाटा लीक न करने के बदले पैसे मांगता है।

क्रिप्टो रैनसमवेयर: यह रैनसमवेयर खतरनाक माना जाता है। इसमें हैकर्स डिवाइस में कंट्रोल के बाद फाइल और निजी जानकारी को इनक्रिप्ट (Encrypt) कर देते हैं। साथ ही यूजर डिवाइस पर लॉग इन नहीं कर पाता है और इसके बदले उससे क्रिप्टोकरेंसी के रूप में फिरौती मांगी जाती है। फिरौती की रकम का भुगतान किये बिना हैकर्स डिवाइस को अनलॉक नहीं करते हैं।

लॉकर रैनसमवेयर: हैकर्स इस रैनसमवेयर का इस्तेमाल कर पूरे सिस्टम को ही लॉक कर देते हैं। ऐसे में यूजर जब भी डिवाइस को खोने का प्रयास करता है तो उसे पे तो अनलॉक (Pay to Unlock) का मैसेज दिखता है। इसका मतलब यह होता है कि यूजर जब तक मांगी गई फिरौती की रकम नहीं देगा तब डिवाइस लॉक ही रहेगी। इसमें हैकर्स फिरौती की रकम के भुगतान के लिए समय सीमा भी तय कर देते हैं। ऐसे में यूजर को निजी जानकारी और डाटा सुरक्षित रखने के बदले पैसे देने ही पड़ते हैं।

साइबर दोस्त का अलर्ट: गृह मंत्रालय की तरफ से साइबर दोस्त (Cyber Dost) ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि रैनसमवेयर आपके व्यावसायिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के डाटा के लिए जोखिम है। साथ ही कहा कि अपने कंप्यूटर/लैपटॉप को सुरक्षित रखने के लिए एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें। इसके अलावा क्रैक/पायरेटेड सॉफ्टवेयर को उपयोग करने से बचें और आवश्यक/क्रिटिकल डाटा का बैकअप समय-समय पर लेते रहें।