शुरुआती पढ़ाई के दौरान यह लड़का स्कूल का तेज-तर्रार छात्र नहीं था। लड़के की गिनती कमजोर छात्रों में होती थी और कई बार तो पढ़ाई-लिखाई को लेकर टीचर की मार भी सहनी पड़ती थी। इतना ही नहीं एक बार इस लड़के ने अपनी स्कूल की कॉपी में गलत लिखा तो नाराज टीचर ने उसकी कॉपी तक फाड़कर फेंक दी थी। इस घटना ने इस लड़के को झकझोर कर रख दिया। इस बाद इस लड़के ने अपनी कमजोरी सुधारने की ठान ली और फिर अपने मेहनत और लगन से वो मुकाम हासिल किया, जहां पहुंचना हर किसी का सपना होता है।
आज हम आईएएस अफसर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की बात कर रहे हैं जिनके अफसर बनने की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के महेशपुर गांव के रहने वाले कौशलेंद्र के पिता का नाम बिंद्रा सिंह है। बिंद्रा सिंह सिंचाई विभाग में नलकूप चालक रहे और उन्होंने अपने बेटों को पढ़ाने-लिखाने में अपनी पूरी जिंदगी झोंक दी। कौशलेंद्र विक्रम सिंह की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही एक सरकारी स्कूल से हुई। उन्होंने हिंदी मीडियम से पढ़ाई की।
शुरुआती दिनों में स्कूली शिक्षकों की डांट पड़ने के बाद वो समझ गए थे कि उन्हें मेहनत कर पढ़ाई में अव्वल आना ही है। इसके बाद उन्होंने जमकर मेहनत की और दूसरी कक्षा में पहले नंबर पर आए। इसके बाद तो कौशलेंद्र का लगातार फर्स्ट करना जारी रहा। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो इलाहाबाद चले गए और आगे की तैयारियों में जुट गए। उन्होंने इलाहाबाद से एम.ए किया। लेकिन एक आईएएस बनने तक का उनका सफर इतना आसान नहीं रहा।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह जेएनयू या डीयू जैसे चुनिंदा संस्थानों में दाखिला लेना चाहते थे लेकिन कौशलेंद्र विक्रम सिंह को अपनी मनपसंद संस्थान नहीं मिली, जबकि उनके कई साथी उन संस्थानों तक पहुंच गये। बहरहाल मन में कुछ बड़ा करने का सफर लिए कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आगे का सफर शुरू किया। उन्होंने नेट की तैयारी शुरू की लेकिन एक बार फिर वो नेट क्लियर करने में भी असफल हुए।
जिंदगी में मिली इन असफलताओं को कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अपनी कमजोरी नहीं बनने दी। उन्होंने इन अफसलताओं को भूल कर नई इबारत लिखने का प्रयास किया और उनकी कोशिश रंग लाई। कहा जाता है कि जिनमें काबिलियत होती है वो अपने मजबूत इरादों के दम पर सपनों को सच की सूरत में ढालने में कामयाब हो जाते हैं। कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। साल 2009 कैडर के आईएएस अफसर कौशलेंद्र विक्रम सिंह आईएएस बनने के बाद भी अपने बेहतरीन कामों को लेकर चर्चा में रहते हैं।

