UPSC में सफलता प्राप्त करना हर कैंडिडेट का सपना होता है। कई प्रयास करने के बाद भी कैंडिडेट्स को सफलता हाथ नहीं लगती है, लेकिन कई बार इससे निराशा भी होती है। आज आपको आईपीएस अधिकारी रंजीता शर्मा की कहानी बताएंगे। रंजीता शर्मा बचपन से ही आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने साल 2006 में निजी कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया था। साल 2016 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी।

UPSC-2018 में रंजीता शर्मा को 130 रैंक प्राप्त हुई थी और इसके साथ ही उनका आईपीएस बनने का सपना पूरा हो गया था। रंजीता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके दोस्त शादी कर रहे थे, लेकिन वो यूपीएससी की तैयारी में लगी हुई थीं। कई प्रयास के बाद भी उनका यूपीएससी में चयन नहीं हो पा रहा था। आखिरी प्रयास में रंजीता शर्मा का यूपीएससी में चयन हो पाया।

रंजीता मूल रूप से हरियाणा के डहीना की रहने वाली हैं। हाल ही में ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाला आईपीएस एसोसिशन का स्वार्ड ऑफ ऑनर सम्मान से रंजीता शर्मा को नवाजा गया है। इसी के साथ ये सम्मान पाने वाली रंजीता शर्मा पहली महिला आईपीएस अधिकारी बन गई है। आमतौर पर ये सम्मान आउट डोर ट्रेनिंग की परफॉर्मेंस के आधार पर दिया जाता है। आइपीएस बैच 2019 आरआर-72 में देश भर से कुल 144 प्रशिक्षु अधिकारी हैं। वहीं, कुल 50 ट्रॉफी में से 8 ट्रॉफी रंजीता शर्मा ने अपने नाम की हैं।

प्रधानमंत्री ने दिया था सुझाव: दीक्षांत समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी प्रशिक्षु अधिकारियों के बैच को संबोधित किया था। प्रधानमंत्री ने रंजीता से पूछा था कि आप योग में रुचि रखती हैं और पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती थीं, लेकिन पुलिस सेवा में कैसे आई? इस पर रंजिता ने बताया कि आईटी फील्ड में करीब 9 साल कार्य किया। लेकिन कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिसका असर तुरंत देखने को मिले और समाज के करीब जाकर कार्य कर सकूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रंजीता को एक सलाह दी कि ड्यूटी के अलावा हफ्ते में एक घंटा वह गर्ल्स स्कूल में जाकर छात्राओं को प्रेरित करें।