पीएम मोदी के नए सलाहकार के रूप में नियुक्त किए पूर्व आईएएस अमित खरे का कार्यकाल कई बड़े मामले और नीतियों को लागू करना के लिए जाना जाता है। 1985 बैच के बिहार/झारखंड कैडर के आईएएस खरे ने ही चारा घोटाले में लालू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। नई शिक्षा नीति में भी खरे का काफी योगदान है। इनकी पत्नी भी आईएएस ही हैं।

कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा जारी आदेश के अनुसार खरे को दो साल के लिए पीएम का सलाहकार बनाया गया है। इन्होंने 2018-19 में सूचना और प्रसारण सचिव के रूप में भी कार्य किया है। उन्हें दिसंबर 2019 में उच्च शिक्षा सचिव के रूप में भी नियुक्त किया गया था। नई शिक्षा नीति में अपनी भूमिका के अलावा, खरे को अकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट और चार वर्षीय ग्रेजुएशन कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण नीतिगत बदलावों के लिए भी जाना जाता है।

सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीएससी करने के बाद अमित खरे ने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री ली है। दिप्रिंट के अनुसार इन्हें जब शिक्षा मंत्रालय में जिम्मेदारी मिली तो इनके लिए काफी कठिन समय था। जेएनयू में उस समय फीस वृद्धि को लेकर छात्रों का आंदोलन चल रहा था। इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय पर दवाब भी काफी था। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पूर्व उच्च शिक्षा सचिव आर. सुब्रह्मण्यम का तबादला इसीलिए कर दिया गया था क्योंकि वह जेएनयू मुद्दे को सुलझाने में असफल रहे थे।

कार्यभार संभालने के बाद, खरे ने जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार से मुलाकात की और एक महीने के भीतर शुल्क वृद्धि को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया। जिसके बाद आंदोलन खत्म हो गया था।

1990 के दशक के अंत में खरे ने बिहार के चर्चित चारा घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब उन्हें पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त के रूप में तैनात किया गया था। पश्चिमी सिंहभूम अब झारखंड में है और खरे भी बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर के ही हो गए थे। 27 जनवरी 1996 को, खरे ने चाईबासा में पशुपालन कार्यालय पर छापा मारा, जिसके बाद 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का पता चला था। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को तब इस मामले में आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया था और जांच के बाद उन्हें दोषी भी ठहराया गया।

खरे ने चारा घोटाले को लेकर कहा था- “मैंने अपने करियर या अपने परिवार या अपने भविष्य के बारे में सोचने में अपना समय बर्बाद नहीं किया। वरना, मैं चारा घोटाले की जांच शुरू करने का निर्णय नहीं ले पाता। फिर मैंने ऐसा क्यों किया? इसका उत्तर यह है कि हम में से अधिकांश एक नया भारत बनाने के सपने के साथ कैरियर के रूप में सिविल सेवा में शामिल हुए, और उपायुक्त के रूप में, जो जिले का प्रशासनिक प्रमुख है, यह मेरा कर्तव्य था”।

अमित खरे की पत्नी निधि खरे भी एक आईएएस ही हैं। 1992 बैच की झारखंड कैडर की अधिकारी निधि खरे भी अपने कामों की वजह से जानी जाती हैं। निधि खरे पर्यावरण की स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने में हमेशा सक्रिय रही हैं।