डी रूपा अपने बेहतरीन काम के चलते अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। डी रूपा अपराधियों के अलावा नेताओं के खिलाफ भी आवाज उठाती रहती हैं। डी रूपा ने UPSC-2000 में 43 रैंक प्राप्त की थी। उन्हें कर्नाटक कैडर मिला था। यहां डी रूपा ने कर्नाटक जेल की डीआईजी रहते हुए तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री शशिकला के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। उन्होंने शशिकला को जेल में मिल रही वीआईपी सुविधाओं का मुद्दा उठाया था।
डी रूपा ने इन सभी सुविधाओं को रुकवाने की पूरी कोशिश की थी। हालांकि इसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया था। डी रूपा की रिपोर्ट ने भी खलबली मचा दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जेल के अधिकारियों ने दो करोड़ रुपये लेकर जेल के अंदर शशिकला के लिए किचेन बनवाई थी। हालांकि इसके बाद शशिकला को मिल रही सभी सुविधाओं को रोक दिया गया था। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि डी रूपा का 20 साल के करियर में करीब 40 बार ट्रांसफर हो चुका है।
एक बार डी रूपा ने सोशल मीडिया यूजर ने उनके ट्रांसफर को लेकर सवाल किया था। इसके जवाब में उन्होंने दो टूक लिखा था कि ट्रांसफर से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुझे लगता है कि ट्रांसफर नौकरी का एक हिस्सा है। मैंने जितने साल नौकरी की है, उसके ज्यादा बार तो मेरा ट्रांसफर हो चुका है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना विवाद और जोखिम का काम है और मैं ये जानती हूं।
आईपीएस पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप: डी रूपा हाल ही में बेंगलुरु सेफ सिटी प्रोजेक्ट का काम देख रही थीं। वह इस प्रोजेक्ट पर अपनी पैनी नज़र बनाए हुए थीं। एक बार उन्हें प्रोजेक्ट में धांधली करने की जानकारी मिली थी। डी रूपा ने इस पर भी चुप नहीं बैठने का फैसला किया और अपने ही वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा दिए थे। इसके बाद एक बार फिर उनका तबादला हैंडलूम एम्पोरियम में कर दिया गया था। उन्होंने अपनी इस पोस्टिंग को भी खुशी से स्वीकार किया और अपनी सेवा जारी रखी।
उमा भारती को गिरफ्तार करने पहुंचीं: बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। आरोप था कि कर्नाटक के हुबली में ईदगाह में उन्होंने तिरंगा झंडा फहराया था और उन पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का भी आरोप लगा था। ये साल 2004 की घटना है और डी रूपा उस दौरान कर्नाटक के धारवाड़ जिले की एसपी थीं। वारंट मिलते ही डी रूपा ने अपनी कार्रवाई शुरू की और उमा भारती को गिरफ्तार करने पहुंच गई थीं। हालांकि जब तक वह पहुंचीं उमा भारती अपने पद से इस्तीफा दे चुकी थीं।