UPSC में सफलता प्राप्त करना हर कैंडिडेट का सपना होता है। लेकिन कई बार हाथ लगी निराशा से तकलीफ होती है। आज हम आपको रुक्मिणी रियार की कहानी बताएंगे। जो छठी कक्षा में ही फेल हो गई थीं। रुक्मिणी को इस असफलता का इतना दुख हुआ था कि वह किसी से बात तक नहीं करती थीं। परिवार में भी वह बहुत कम बात करती थीं और डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। बाद में उन्होंने पहले ही प्रयास में UPSC में सफलता हासिल की थी।
रुक्मिणी रियार मूल रूप से पंजाब के गुरुदासपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता होशियारपुर के डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हैं। रुक्मिणी की शुरुआती पढ़ाई गुरुदासपुर से ही हुई थी। इसके बाद चौथी क्लास में उनका एडमिशन बोर्डिंग स्कूल में करवा दिया गया था। रुक्मिणी ने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से सोशल साइंस में ग्रेजुएशन की थी। इसके बाद उन्होंने मास्टर्स के लिए टाटा इस्टीट्यूट का रुख किया।
रुक्मिणी यूपीएससी की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को भी कठिन परिश्रम करने की सलाह देती हैं। रुक्मिणी का मानना है कि भले ही उन्होंने UPSC 2011 के पहले ही प्रयास में दूसरी रैंक प्राप्त की हो, लेकिन उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी और ऐसी ही मेहनत हर कैंडिडेट को करनी चाहिए। रुक्मिणी रियार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि यूपीएससी के लिए नोट्स बनाना बेहद जरूरी है। कई बार सीधा किताबों से ही कैंडिडेट्स तैयारी करना शुरू कर देते हैं, लेकिन उससे फिर एग्जाम के समय पर मुश्किल होती है।
रुक्मिणी का कहना है कि हमेशा पॉजिटिव सोच के साथ आपको तैयारी करनी चाहिए क्योंकि यूपीएससी एग्जाम में पॉजिटिव रहकर ही तैयारी की जा सकती है। कई बार असफलता मिलने से निगेटिविटी होती है। अगर आप दृढ इच्छाशक्ति के साथ कठिन मेहनत करते है तो सफलता निश्चित ही उनके कदम चूमेगी।
रुक्मिणी रियार यूपीएससी एग्जाम में बैठने से पहले एनजीओ के लिए भी काम कर चुकी हैं। अन्नपूर्णा महिला संगठन के लिए रुक्मिणी ने मुंबई में काम किया था। हालांकि उन्होंने अपनी कामयाबी पर कहा था कि मॉक टेस्ट और पुराने पेपर्स तो यूपीएससी एग्जाम में बैठने से पहले जरूर सॉल्व करें।