UPSC एग्जाम में सफलता हासिल करना हर कैंडिडेट का सपना होता है, लेकिन हर कैंडिडेट को इस एग्जाम में सफलता हासिल नहीं हो पाती है। नम्रता जैन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। नम्रता जैन आज भले ही आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी। नम्रता मूल रूप से छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा की रहने वाली हैं। नम्रता का जिला काफी अशांत है, यही वजह है कि उन्होंने सिविल सर्विस में जाने का फैसला किया।

नम्रता की शुरुआती शिक्षा बस्तर, दंतेवाड़ा में ही हुई। यहां से उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद वे भिलाई चली गईं और बारहवीं वहीं से की। नम्रता की मां किरन जैन होममेकर हैं जबकि पिता झनवरलाल जैन एक बिजनेसमैन हैं। नम्रता को पढ़ाई के दौरान ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है जिसके बारे में कल्पना करना भी मुश्किल है। क्योंकि वह एक ऐसी जगह पैदा हुई थीं जहां अक्सर गोलियों की आवाज सुनाई देती थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

नम्रता जैन ने दी ये सलाह: नम्रता जैन ने पहला अटेम्प्ट 2015 में दिया था, लेकिन इस समय उनका प्री में भी चयन नहीं हुआ था। नम्रता ने निराश होने की जगह अपनी तैयारी जारी रखी और रणनीति में भी थोड़ा बदलाव किया। उन्होंने किया भी यही, अपनी गलतियों से सीख ली और दोबारा साल 2016 में परीक्षा दी। साल नम्रता का सेलेक्शन हो गया और उन्हें 99वीं रैंक मिली। इसके साथ उनका चयन आईपीएस में हुआ, लेकिन उनका सपना तो आईएस अधिकारी बनने का था।

नम्रता जैन ने फिलहाल आईपीएस के पद पर जॉइन कर लिया, लेकिन अपनी तैयारी भी जारी रखी। UPSC 2018 में नम्रता जैन ने एक बार फिर एग्जाम दिया और इस बार उन्होंने अपना सपना पूरा कर लिया। इस साल उनकी 12 रैंक आई और उनकी पसंद की आईएएस भी उन्हें मिल गई।

नम्रता ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘परीक्षा की तैयारी के समय प्री, मेन्स और इंटरव्यू को अलग-अलग न मानें। तीनों की तैयारी एक साथ करें। पढ़ने के साथ ही लिख-लिखकर प्रैक्टिस करें क्योंकि कई बार उत्तर आने पर भी कैंडिडेट अच्छे से आंसर नहीं लिख पाते। इसलिए राइटिंग का अभ्यास बहुत जरूरी है। मॉक टेस्ट बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में दें, उतनी ही गंभीरता के साथ। यह बहुत लाभ देता है।’