उत्तर प्रदेश के कासगंज में बड़ा अजीबो-गरीब मामला देखने को मिला। यहां एक शव को लेने दो परिवार के लोग आ पहुंचे। दोनों ही परिवारों ने दावा किया है कि मृतक उनके घर का सदस्य है। दोनों परिवरों की बात सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किसकी बात सच है और किसकी झूठ। हालांकि पुलिस ने अपना दिमाग लगाकर सच का पता लगा ही लिया।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार, कांसगंज में पत्थर मैदान के पास शव मिलने से हड़कंप मच गया। शव की पहचान करने के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। इसके बाद सोरोंजी के फतेहपुर गांव के रहने वाले एक परिवार ने शव का शिनाख्त कर अपना घर का सदस्य बताया।
पुलिस को लगा कि चलो शव की पहचान हो गई मगर कुछ देर बाद ही सिकंदरपुर वैश्य थाना क्षेत्र के नगला अब्दाल गांव का एक परिवार थाने पहुंच गया। उन्होंने शव की पहचान की और कहा कि मृतक उनके परिवार का सदस्य है। दोनों ही परिवार के लोग शव पर दावा ठोक रहे थे। वे कह रहे थे कि मृतक उनके घर का सदस्य है। दोनों परिवार की बातें सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।
पुलिस ने दोनों परिवार से तस्वीरें लेकर शव से मिलान की। दोनों परिवार के द्वारा दी गईं तस्वीरों से मृतक का चेहरा काफी मिल जुल रहा था। पुलिस वाले भी इस वाकये से हैरान थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि मामले को कैसे सुलझाया जाए?
पुलिस ने बायोमेट्रिक मशीन का लिया सहारा
इसके बाद पुलिस ने अपना दिमाग लगाया और मामले को सुलझाने के लिए बायोमेट्रिक मशीन का सहारा लिया। उन्होंने बायोमेट्रिक मशीन के जरिए मृतक की पहचान की। मृतक के अंगूठे को जब बायोमेट्रिक मशीन पर लगाया गया तो पता चला कि वह संजीव है। जो फतेहपुर थाना सोरोंजी के रहने वाले चंद्रपाल का बेटा है।
मृतक संजीव के भाई नीरज कुमार ने थाने पहुंचकर शव की पहचान की और बताया कि वह मजदूरी करने शहर आया था मगर घर नहीं पहुंचा। उन्हें सोशल मीडिया के जरिए उसकी मौत की खबर मिली। संजीव ने बताया कि मृतक उनका भाई है। पुलिस ने संजीव की बातों पर भरोसा कर लिया। दूसरी ओर किशन कुमार ने दावा किया कि यह शव उनके भाई उमाशंकर का है। किशन के अनुसार, उमाशंकर काफी समय से लापता है। दोनों परिवारों के दावे के बाद एसपी ने बायोमेट्रिक परीक्षण करने की सलाह दी। जिसमें सामने आया कि फतेहपुर का परिवार के लोग सच बोल रहे थे। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया और फतेहपुर परिवार के लोगों को सौंप दिया गया।