असम के माजुली जिले के एक सरकारी स्कूल में गुरुवार को सुबह की प्रार्थना के दौरान अनुशासन सिखाने के लिए एक टीचर ने कथित तौर पर सबके सामने 30 से अधिक छात्रों के बाल काट दिए। हंगामा होने के बाद मौके पर पुलिस को भी आना पड़ा। हालांकि, बाद में स्कूल के अधिकारियों ने जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों के सामने अपने बयान में कहा कि बच्चे लंबे बाल रख रहे थे, स्कूल के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसकी इजाजत नहीं है।
माजुली की डिप्टी कमिश्नर ने दिया जांच का आदेश- रिपोर्ट तलब
स्कूल के अधिकारियों ने कहा, “छात्रों को कई बार चेतावनी दी गई और उनके माता-पिता को भी सूचित किया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। यह घटना बस छात्रों को अनुशासन सिखाने का एक तरीका था।” स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि माजुली की डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) कावेरी बी सरमा ने शुक्रवार शाम को संबंधित अधिकारियों को मामले की जांच करने और तुरंत रिपोर्ट देने को कहा।
टीचर ने कहा- सिर्फ अधिकारियों के आदेश का पालन किया
कावेरी बी सरमा ने बताया, ‘शुरुआती जांच के मुताबिक टीचर ने बालों को काटकर सिर्फ लंबाई कम की, इसे ट्रिम नहीं किया गया। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि बाल ट्रिम किए गए। यह सही नहीं पाया गया है।’ इस मामले में निकी के रूप में पहचानी जाने वाली एक शिक्षिका ने कहा कि उसने बस स्कूल के अधिकारियों के आदेश का पालन किया। हालांकि, घटना के बाद छात्रों के माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे कक्षाओं में जाने से इनकार कर रहे हैं।
असेंबली के दौरान पूरे स्कूल के सामने बाल काटना अपमानजनक
इनमें से एक छात्र के माता-पिता ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उनका बच्चा गुरुवार को सामने के बाल कटवाकर रोता हुआ घर वापस आया। उन्होंने कहा, “वह अब स्कूल जाने से इनकार कर रहा है क्योंकि वह अपमानित महसूस कर रहा है।”अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रशासन को अनुशासन लागू करने की आजादी है लेकिन इसकी कुछ सीमाएं हैं। उन्होंने कहा, “यह सच है कि छात्रों को खुद को साफ रखना चाहिए और एक समान दिखना चाहिए। लेकिन असेंबली के दौरान पूरे स्कूल के सामने बाल काटना अपमानजनक है।”
राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत कोई शिक्षक कैंपस के अंदर छात्रों के बाल काट या काट सके। नाबालिग बच्चों से निपटने के और भी तरीके हैं। उन्होंने कहा कि हम यह समझने के लिए मामले की जांच कर रहे हैं कि वास्तव में उस दिन क्या हुआ था।
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स्कूल कैंपस में गलती से मातृभाषा बोलने पर छात्र पर जुर्माना
इससे दो हफ्ते पहले असम के कछार जिले के एक स्कूल में कैंपस के अंदर गलती से अपनी मातृभाषा बोलने के लिए एक छात्र पर 250 रुपये का जुर्माना लगा दिया था। इसकी समाज के कई वर्गों ने आलोचना की थी। स्कूल के अधिकारियों ने बाद में कहा कि जुर्माना लगाकर वे छात्रों को अनुशासन सिखाना चाहते थे और कभी भी पैसा इकट्ठा करना उनका मकसद नहीं था।