आज बात उस महिला की जिनकी सकारात्मक सोच समाज की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई। साल 2015 में बेनो जेफाइन देश की पहली नेत्रहीन महिला अधिकारी बनीं जिन्होंने भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में शामिल होकर इतिहास रच दिया था। साल 2013-15 सिविल सेवा परीक्षा में बेनो जेफाइन को 343 रैंक प्राप्त हुए थे। 17 अप्रैल 1990 को चेन्नई में जन्मीं बेनो जेफाइन के पिता ल्यूक एंथन चार्ल्स भारतीय रेलवे के कर्मचाारी थे जबकि उनकी मां मैरी पदमजा होम मेकर। बेनो जेफाइन ने अपनी स्कूलिंग चेन्नई में स्थित लिटिल फ्लवर कॉन्वेन्ट हाईय़र सेकेंड्री स्कूल से की थी। इसके बाद उन्होंने स्टेला मैरिस कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने लॉयला कॉलेज से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

एक साक्षात्कार में बेनो जेफाइन ने कहा था कि ‘मेरे परिवार ने कभी भी मुझे विकलांग होने का अहसास नहीं दिलाया। मेरा स्कूल जीवन बहुत ही अच्छा गुजरा और मेरे स्कूल में सभी शिक्षकों ने मेरा हर मोड़ पर साथ दिया।

‘बचपन के दिनों से ही पढ़ाई-लिखाई में होशियार बेनो जेफाइन ने स्कूल में अपनी पहली स्पीच भी दी थी। यह स्पीच उन्होंने जवाहरलाल नेहरू पर दी थी और उन्हें प्रथम पुरस्कार भी मिला था। बेनो जेफाइन 69 साल पुरानी भारतीय विदेश सेवा की परीक्षा पास करने वाली पहली शत प्रतिशत दृष्टिहीन छात्रा हैं।

बेनो जेफाइन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया था। उनके मुताबिक पिता ने उनकी जरूरत को पूरा करने में हर संभव मदद की थी। एग्‍जाम की तैयारी करने के लिए किताबें खरीदने को उन्‍होंने कभी मना नहीं किया था। जेफाइन ने पढ़ाई-लिखाई के लिए ब्रेल लिपि की जगह जॉब एक्सेस विद स्पीच नाम के सॉफ्टवेयर की मदद ली थी। इस सॉफ्टवेयर की मदद से दृष्टिबाधित लोग कंप्यूटर स्क्रीन पढ़ सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर को स्मार्टफोन से भी एक्सेस किया जा सकता है।