आज बात उस अफसर की जिस पर आरोप लगे थे कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक नेता की ‘सिंघम स्टाइल’ में बेल्ट से पिटाई की थी। दरअसल अभिनेता अजय देवगन की एक फिल्म आई थी ‘सिंघम।’ इस फिल्म में अभिनेता गुंडों को बेल्ट से पीटते थे। 2015 बैच के आईपीएस उदय किरण के बारे में कहा जाता है कि उनकी पोस्टिंग जहां कही भी होती है वहां अपराधी खौफ में रहते हैं।

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बात साल 2018 के जून महीने की है। उस वक्त उदय किरण छत्तीसगढ़ के महासमुंद में तैनात थे। उस वक्त बॉल बैडमिंटन की एक अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ी और गोल्ड मेडल विजेता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि प्रैक्टिस के दौरान उनके साथ कुछ लोगों ने छेड़खानी और गलत व्यवहार किया था। बाद में इस महिला खिलाड़ी ने यह भी आरोप लगाया था कि थाने में पुलिस ने उनकी शिकायत नहीं सुनी और वहां भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है।

इसी बात का विरोध दर्ज कराने के लिए महासमुंद के तत्कालीन विधायक विमल चोपड़ा अपने समर्थकों के साथ थाने का घेराव करने पहुंचे थे। आरोप है कि आईपीएस उदय किरण के निर्देश पर पुलिस ने विधायक और उनके समर्थकों की लाठियों से जमकर पिटाई कर दी थी। इस मामले में सब इंस्पेक्टर समीर डुंगडुंग की शिकायत पर पूर्व विधायक और उनके समर्थकों पर ही विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई थी।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ही आईपीएस उदय किरण पर बीजेपी नेता अंकुश गुप्ता की बेल्ट से पिटाई करने का आरोप भी लगा था। घटना के बारे में उस वक्त कहा गया था कि अंकुश गुप्ता को थाने से 3 बार फोन कर बुलाया गया था, लेकिन वो नहीं आए थे। इसके बाद अंकुश गुप्ता आखिरकार रात के वक्त थाने में पहुंचे थे। अंकुश गुप्ता ने आरोप लगाया था कि थाने में आने के बाद उनके साथ गाली-गलौज की गई और फिर उसके बाद आईपीएस उदय किरण ने बेल्ट से उनकी पिटाई भी की थी। इतना ही नहीं अंकुश गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि कनपटी पर बंदूक तानते हुए उन्होंने कहा था कि ‘मेरे सामने नेतागिरी की तो यहीं ढेर कर दूंगा।’

इस मामले में हंगामा बढ़ने के बाद उदय किरण की तरफ से सफाई भी सामने आई थी। घटना के वक्त उदय किरण की तैनाती प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर थी। प्रशिक्षु आईपीएस उदय किरण ने कहा था कि ‘गुंडा एक्ट फाइल खोली गई है, जिसमें उनका नाम है। फाइल न खुले इसलिए दबाव बनाया जा रहा है। पुलिस ऐसे लोगों को छोड़ेगी नहीं। गुंडा-बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करके रहूंगा। मुझे पिस्टल तो मिला ही नहीं है, तो पिस्टल तानने की बात कहां से आ गई।’ बता दें कि जनवरी-2018 में यह घटना हुई थी। उस वक्त अंकुश गुप्ता भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष थे।

उदय किरण पर जनता कांग्रेस के नेता ईशान भंडारी को पिटवाने का आरोप भी लगा था। इसी तरह कोरबा में उदय किरण जब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर तैनात थे तब भी उनका कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पंगा हुआ था। उस वक्त पुलिस गाड़ी में तोडफ़ोड़ के मामले में उन्होंने जिन आठ लोगों को गिरफ्तार किया था उनके बारे में कहा गया था कि वह सत्ताधारी दल कांग्रेस से जुड़े हुए थे।

इन सभी पर आरोप था कि ये जबरदस्ती दुर्गा पूजा का चंदा वसूल रहे थे। चंदा वसूलने के दौरान एक पुलिस आरक्षक ने जब इनका वीडियो तैयार किया तो ये उससे भी उलझ गए थे। पुलिस की तरफ से कहा गया था कि इन्होंने आरक्षक पर दबाव डालकर उससे वीडियो डिलिट करवा दिया और तो और इन्होंने मानिकपुर पुलिस चौकी के सामने खड़े उन वाहनों में तोडफ़ोड़ की जो कि पुलिस के बताए गए थे।