चंबल में एक तरफ जहां खूंखार डकैतों का आतंक रहा तो वहीं यहां की बीहड़ों में दस्यु सुंदरियों ने भी राज किया। आज बात उस लड़की कि जिसे 13 साल की उम्र में डकैत उठा कर ले गये और फिर वो बन गई चंबल की खूंखार डकैत। इटावा जिले का एक गांव है बदनपुरा। 12 मार्च, 1999 को थाना सहसों के चौकीदार देवी चरण के घर कुछ डाकू सलीम गुर्जर के गैंग ने धावा बोल दिया। सलीम गुर्जर को शक था कि देवी चरण पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहा है। जिसके बाद डाकुओं ने उनके घर पर हमला बोला था।
डाकुओं के आतंक से उस वक्त कोहराम मच गया था। इस बीच सलीम गुर्जर उनकी 13 साल की बेटी सुरेखा दिवाकर को जबरन अपने साथ ले गया। उस वक्त सुरेखा 5वीं कक्षा में पढ़ रही थीं। सुरेखा ने खुद बताया था कि जंगल में ले जा कर सलीम ने उनसे शादी रचा ली थी। कई दिनों तक सुरेखा डाकुओं के बीच रही और फिर गैंग में भी शामिल हो गई थी।
बात साल 2004 की है, तब सुरेखा, सलीम के बच्चे की मां बनने वाली थी। उस वक्त मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पुलिस और सलीम गैंग के बीच मुठभेड़ हो गई थी। हालांकि, प्रेग्नेंट होने की वजह से सुरेखा भाग नहीं सकी थी और पुलिस के हत्थे चढ़ गई थी। इसके बाद सुरेखा ने पुलिस अभिरक्षा में भिंड के एक अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। साल 2006 में सलीम एक एनकाउंटर में मारा गया था। सलीम पर कभी 5 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था।
5 साल के बागी जीवन में सुरेखा पर जालौन के उरई में 11 मुकदमें, भिंड में 3 और इटावा जनपद में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे होने के चलते 14 साल जेल में बिताने के बाद अदालत ने सभी मुकदमों से बरी कर दिया था। सुरेखा ने एक बार बताया था कि ‘बागी जीवन के दौरान जब गांव में पंचायत चुनाव हुआ करते थे, तब हम सब डकैत गांव-गांव घूमकर अपने मनमाफिक लोगों को जिताने के लिए फरमान जारी करते थे और गांव के लोगों को सख्त हिदायत दी जाती थी कि उनके चुने हुए प्रत्याशियों को वोट नहीं किया तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।’