दोनों रिश्ते में भाई ओर बहन हैं। दोनों एक साथ ही कभी माओवाद के रास्ते पर चले थे लेकिन अब दोनो की राहें जुदा हैं। बहन अब भी माओवाद के रास्ते पर है और उसका भाई अब पुलिस की वर्दी पहन कर इन माओवादियों के खात्मे में जुटा है। कैसे एक भाई-बहन माओवादी बन गए? क्यों यह लड़का संगठन में अपनी बहन को छोड़ मुख्यधारा मे लौट आया? कैसे आज वो एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए? इन सारे सवालों के जवाब हम आपको आगे देंगे लेकिन उससे पहले जानिए कि जब 29 जुलाई को बीहड़ों में भाई-बहन आमने-सामने आए तो क्या हुआ?

बहन से हुई मुठभेड़: ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस दिन छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बालेंगटोंग के जंगलों में करीब 140 पुलिस वालों ने नक्सलियों के कैंप को चारों तरफ से घेर लिया। सुकमा पुलिस के सीक्रेट जवान वेटी रामा के नेतृत्व में यह टीम कोंटा एरिया कमेटी के टॉप माओवादी सदस्य वेटी कानी और उसके ग्रुप के 30 सदस्यों की तलाश में थे। थोड़ी देर बाद सुरक्षा बल और माओवादी आमने सामने थे। उस वक्त रामा और कानी ने एक-दूसरे को देखा भी था। कानी और रामा की आंखें अभी एक दूसरे से मिली ही थी किं कानी के गार्ड्स ने रामा पर गोली चला दी। रामा ने तुरंत मोर्चा सभाला और इस मुठभेड़ में 2 माओवादियों को मार गिराया। हालांकि मौके का फायदा उठाकर कानी भागने में सफल हो गई।

पुलिस वाले के बहन के सिर पर 5 लाख का है इनाम: 50 साल की कानी और 43 साल के रामा रिश्ते में भाई-बहन हैं और आज एक-दूसरे के खिलाफ बंदूक उठा कर लड़ रहे हैं। इस मुठभेड़ के बाद रामा ने कहा कि ‘मैं उसपर गोली चलाना नहीं चाहता था। लेकिन उसकी टीम में शामिल माओवादियों ने अचानक मुझपर गोलियां चला दी। थोड़ी देर बाद मैंने देखा की वो जंगलों में फायरिंग करती हुई भाग गई।’ कुख्यात माओवादी कानी के सिर पर सरकार ने 5 लाख रुपए का इनाम रखा है। कानी संगठन में मुख्य रुप से उन माओवादियों को कानूनी मदद उपलब्ध करवाती है जो गिरफ्तार हो जाते हैं। इसके अलावा कानी मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के परिवार वालों के पुनर्वास की व्यवस्था को भी देखती है।

1990 में भाई-बहन माओवाद से जुड़े: रामा और कानी दोनों ही साल 1990 में माओवादी आंदोलन से जुड़े थे। उस वक्त गगनपाली गांव के कई और दूसरे लड़कों ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया था। रामा ने बताया कि हम दोनों ने बाल संघम यानी चाइल्ड कैडर के तौर पर माओवादी आंदोलन में हिस्सा लिया था। हमसे कहा गया था कि यह आंदोलन इलाके के गरीबों के लिए है। बता दें कि कोंटा की सीमा तेलंगाना राज्य से लगती है। साल 1980 में माओवादी कोंटा आए और फिर बस्तर क्षेत्र में उनका विस्तार हुआ।

60 किलोमीटर में फैला कोंटा का इलाका माओवादियों से भरा पड़ा है। इसके अंतर्गत करीब 116 गांव आते हैं। पुलिस के मुताबिक इनमें से 50 गांव ऐसे हैं जहां अभी भी माओवादी अपनी सरकार चलाते हैं। रामा और कानी दोनों ही इलाके के कुख्यात माओवादी थे। इस इलाके में संगठन के लिए सभी भर्तियां यह दोनों भाई-बहन ही करते थे। जब रामा माओवादी संगठन में था तो वो भी एरिया कमांडर था और उसके सिर पर भी साढ़े छह लाख रुपए का इनाम था।

वर्ष 2018 में रामा ने सरेंडर किया: लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। साल 2018 में रामा ने सरेंडर कर दिया। इसके कुछ ही महीनों बाद रामा ने पुलिस फोर्स ज्वायन कर लिया। सरेंडर करने के बाद रामा ने पुलिस फोर्स के साथ मिलकर माओवादियों के खिलाफ 10 बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। जल्दी ही रामा का प्रोमोशन हुआ और वो पुलिस कॉन्स्टेबल बन गए। सीक्रेट जवान का पोस्ट छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा सृजित किया गया था। इन सभी जवानों की नियुक्ति एसपी करते हैं और इसके बाद सभी कॉनस्टेबल रैंक पर प्रोमोट किए जाते हैं।

संगठन में रामा की कद्र नहीं थी: चूकि रामा पहले माओवादियों के साथ रह चुके हैं इसलिए उन्हें नक्सलियों के काम करने के तरीके के बारे में बखूबी मालूम है औऱ इस वजह से पुलिस में वो काफी उपयोगी भी हैं। रामा ने सरेंडर क्यों किया इस सवाल के जवाब में उनका कहना कि ‘मैंने करीब दो दशक तक माओवादियों के साथ काम किया। लेकिन मुझे एरिया कमांडर के पोस्ट से हटा दिया गया। संगठन में मेरा कद घटाकर कर सीपीआई (माओवादियों) के दूसरे डिविजन में डाल दिया गया। क्या आप सोच सकते हैं कि मैं अपनी पत्नी से सात साल तक नहीं मिला लेकिन इसके बावजूद संगठन के वरीय नेता मेरी कद्र नहीं करते थे।’

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संगठन छोड़ने पर बहन ने कहा ‘गद्दार’ : सरेंडर के बाद रामा चाहते थे कि उनकी बहन भी सरेंडर कर दें। रामा ने चिट्ठी लिखकर अपनी बहन को आत्मसमर्पण के लिए भी कहा लेकिन उनकी बहन ने खत का जवाब भेजकर उन्हें गद्दार कहा। हालांकि अब रामा अपनी पत्नी के साथ सुकमा में रहते हैं। उनका कहना है कि अपनी बहन को मारना इतना आसान नहीं है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि मुठभेड़ के वक्त वो सरेंडर कर दे लेकिन एनकाउंटर में कुछ भी हो सकता है। (और…CRIME NEWS)