साल 2003 से 2009 के बीच कर्नाटक के पांच जिलों के छह शहरों में 20 महिलाओं की मौत हुई थी। इन सभी की उम्र 20-30 साल के बीच थी। खास बात यह भी है कि सभी महिलाओं के शव बस स्टैंड के आराम कक्ष में मिली थीं। इन सभी आराम कक्षों को तोड़ना पड़ा था क्योंकि यह सभी अंदर से लॉक थे। सभी महिलाएं शादी के ड्रेस में थी लेकिन उनके शरीर पर एक भी गहने नहीं थे। इनमें से 8 महिलाओं की डेड बॉडी तो मैसूर शहर के लश्कर मोहल्ला बस स्टैंड से मिली थी। जाहिर है इन सभी 20 मौतों में कई समानताएं थीं लेकिन 6 साल तक इन सभी मौतों को लेकर कोई भी लिंक पुलिस के पास नहीं था। माना जा रहा था कि इन सभी महिलाओं ने आत्महत्या की है। सभी मृतक महिलाओं के पोस्टमार्टम से इस बात खुलासा हुआ था कि सायनाइड की वजह से उनकी मौत हुई है। जबकि सायनाइड एक ऐसा जहर है जो आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकता।

लेकिन जब 19वीं महिला की लाश मिली तब जातिय तनाव पैदा हो गया था। दरअसल मरने वाली युवती का नाम अनीता बारीमर था जो बंटवाल की रहने वाली थी। अनीता 19 जून, 2009 से लापता थी और वो बंजारन थी। उसके समुदाय के लोगों ने दावा किया था कि वो एक मुस्लिम युवक के साथ भाग गई थी उस वक्त इस समुदाय के करीब 150 लोगों ने थाने पर पहुंचकर हंगामा किया था और हत्यारे की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की थी। पुलिस ने जब अनीता के लैंडलाइन नंबर की जांच की तो पता चला कि अनीता रात में किसी नंबर से काफी देर तक बातचीत करती थी। इसके अलावा पुलिस ने जब अन्य मृत मिली महिलाओं के फोन नंबरों को ट्रेस किया तो भी यहीं खुलासा हुआ कि यह महिलाएं भी किसी एक नंबर से काफी बातचीत करती थीं।

पता चला कि यह सभी महिलाएं जिस नंबर से बात करती थीं वो नंबर मंगलुरु के डेरालाकट्टी गांव में एक्टिव है। एक बार पुलिस को ऐसा लगा कि यह मामला देह व्यापार से जुड़ा हो सकता है। इसके बाद पुलिस इस फोन नंबर को तलाशते-तलाशते इस गांव के रहने वाले एक युवक धनुष के पास पहुंची और धनुष ने बताया कि उसने अपना फोन अपने चाचा मोहन को दे दिया था। पुलिस ने यह भी पता लगा लिया मोहन कुमार उस वक्त इस नंबर से किसी महिला सुमित्रा शेखर पुजारी से लंबी बातचीत करता है। पुलिस ने सुमित्रा से कहा कि वो मोहन को मिलने के लिए बुलाए।

इस बार पहले से इंतजार कर रही पुलिस ने मोहन को हिरासत में ले लिया और जब उससे पूछताछ हुई और उसने अपने राज उगले तो पुलिस के होश उड़ गए। पता चला कि यह मामला किसी सेक्स रैकेट का नहीं बल्कि सीरियल कीलिंग का है। मोहन ने उस वक्त बताया था कि उसने 32 महिलाओं का कत्ल किया है। मोहन महिलाओं को शादी का झांसा देकर उनके साथ यौन संबंध बनाता था। इसके बाद वो उन्हें नजदीकी बस स्टैंड पर ले जाता तथा उन्हें सायनाइड की गोली गर्भनिरोधक गोली बताकर खाने के लिए दे देता था। हत्या के बाद वो महिलाओं के गहने और अन्य कीमती सामान लेकर फरार हो जाता था।

उस वक्त यह खबर मीडिया में काफी सुर्खियां बनी थीं। मोहन कुमार को ‘मोहन सायनाइड’ कहा जाने लगा था। पता चला कि मोहन ने तीन शादियां की थी। पहली पत्नी ने उससे तलाक लिया था। दूसरी पत्नी मंगलुरू में उस वक्त अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। मोहन की तीसरी पत्नी श्रीदेवी मोहन के ही एक दोस्त के प्यार में पड़ गई। यह भी पता चला था कि मोहन का जन्म साल 1963 में हुआ था। मोहन पेशे से शिक्षक था। लेकिन जल्दी ही वो हैवान बन गया। साल 2009 में उसे गिरफ्तार करने के बाद उसपर 5 साल तक केस चला। मोहन ने खुद कहा था कि उसने 32 महिलाओं को मारा है लेकिन इतने कत्ल के इल्जाम उसपर साबित नहीं हो सके। दरअसल मोहन की यादाश्त बेहद कमजोर थी इसलिए वो अपने शिकार के डिटेल एक डायरी में लिखा करता था। यह डायरी अदालत में बड़े सबूत के तौर पर पेश की गई थी। अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। (और…CRIME NEWS)