आज कहानी देश में डोसा किंग के नाम से मशहूर पी राजगोपाल की जिसने सर्वना भवन का नाम अमेरिका तक में फैलाया। सर्वना भवन उनके रेस्तरां का नाम था जिसकी भारत सहित विदेशों में कई शाखाएं हैं। लेकिन इसी सर्वना भवन के मालिक पी राजगोपाल ने ज्योतिषी, शादी और एक कत्ल के चक्कर में सारी प्रतिष्ठा गवां दी। जिसके चलते पी राजगोपाल को आजीवान कारावास की सजा भी हुई। हालांकि, अब वह इस दुनिया में नहीं है।
तमिलनाडु के छोटे से गांव तूतीकोरन में पैदा हुए पी राजगोपाल के पिता किसान थे। राजगोपाल थोड़ा बड़े हुए तो चेन्नई आ गए और फिर एक किराने की दुकान खोली। इसी बीच उन्हें एक ज्योतिषी मिले जिन्होंने राजगोपाल को रेस्तरां खोलने को कहा। पी राजगोपाल ने थोड़े ही दिनों में एक रेस्तरां खोला और 1 रुपये में पारंपरिक पौष्टिक भोजन लोगों को खिलाने लगे।
पी राजगोपाल की यही बात उन्हें सबसे आगे ले गई और थोड़े ही सालों में सर्वना भवन पूरे देश में मशहूर हो गया। साल 2000 में पी राजगोपाल ने दुबई में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय आउटलेट खोला फिर तो जैसे बाढ़ आ गई। समय के साथ सर्वना भवन और पी राजगोपाल का नाम चेन्नई से निकलकर अमेरिका तक जा पहुंचा। पी राजगोपाल को लोग डोसा किंग और ‘अन्नाछी’ यानी बड़ा भाई कहने लगे।
कई साल बीतने के बाद राजगोपाल के ज्योतिषी ने देश का सबसे अमीर आदमी बनने के लिए शादी करने की सलाह दी। हालांकि, पी राजगोपाल की पहले दो शादियां हो चुकी थी जो पूरी निभ नहीं पाई। इसी दौरान, चेन्नई की सर्वना भवन की एक शाखा में काम करने वाले सहायक प्रबंधक की बेटी जीवज्योति कुछ पैसे उधार लेने पी राजगोपाल के पास पहुंची। जीवज्योति इन पैसों की मदद से एक ट्रेवल एजेंसी खोलना चाहती थी।
उसी मुलाकात में पी राजगोपाल ने जीवज्योति से तीसरी शादी करने की ठानी लेकिन जीवज्योति ने प्रिंस संथाकुमार से शादी की थी। पी राजगोपाल ने दोनों पति-पत्नी के बीच खटास लाने के लिए तरह-तरह के उपहार भेजे लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ। लड़की ने पी राजगोपाल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई तो उसने धमकी देनी शुरू कर दी। दोनों दंपत्ति ने चेन्नई शहर छोड़ने का फैसला किया।
इसी दौरान, अक्टूबर 2001 में दंपति का अपहरण कर लिया गया लेकिन संथाकुमार की हत्या कर दी गई। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में कोडाइकनाल स्थित चोल के जंगलों के अंदर से वन विभाग के अधिकारियों ने संथाकुमार की लाश बरामद की। जीवज्योति ने पी राजगोपाल पर केस दर्ज कराया फिर 2004 में चेन्नई की सेशन कोर्ट ने राजगोपाल और आठ अन्य को 10 साल की कठोर कारावास की सजा के लिए दोषी ठहराया।
जीवज्योति ने इस फैसले के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में अपील की, जहां राजगोपाल को 2009 में हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। फिर राजगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की लेकिन अदालत ने मार्च, 2019 को कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। हालांकि, सजा काटने के दौरान ही साल 2019 में पी राजगोपाल की मौत हो गई थी।