आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में पिछले 24 घंटों में दो निर्माण का कार्य करने वाले मजदूरों ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है। हालांकि पुलिस आत्महत्याओं के कारण की पुष्टि नहीं कर पा रही है, लेकिन विपक्षी दलों सहित कुछ व्यापारियों ने रेत की भारी कमी के कारण राज्य के निर्माण क्षेत्र में जारी मंदी को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सरकारी नियम बदलने से प्रदेश में कई नौकरियां खत्म हो गई हैं।
पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने ट्वीट कर बोला हमला: पोन्नूर शहर के वंदावल्ली गांव के 35 वर्षीय गुर्रम नागराजू और 30 साल के अदपा रवि ने शनिवार (2 नवंबर) की सुबह कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। टीडीपी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने ट्वीट में लिखा, ‘एक और निर्माण मजदूर ने अपना जीवन समाप्त कर लिया है और वाईएसआरसीपी की सरकार मृतकों का मजाक उड़ा रही है। सीएम की आंख खोलने के लिए और कितने मजदूरों को जान देनी होगी।’
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‘मुफ्त रेत नीति’ समाप्त की गई: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले महीने मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने खनन को लेकर नए नियमों की घोषणा की थी। इसके तहत पिछले सरकार की ‘मुफ्त रेत नीति’ को खत्म कर दिया गया था और सामग्री केवल सरकारी स्वामित्व वाले स्टॉकयार्ड से उपलब्ध कराई गई थी। इस नीति का नतीजा यह रहा है कि रेत की खरीद में भारी गिरावट आ गई है, जिससे कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट पर काफी असर पड़ा है।
मंत्री ने कहा बाढ़ की वजह से हालात बिगड़े: विपक्षी दलों के आरोपों का खंडन करते हुए, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार में राज्य के सिंचाई मंत्री अनिल कुमार यादव ने कहा कि राज्य में रेत संकट बाढ़ आने की वजह से हुआ है, हालांकि जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 30 लाख से अधिक लोग इससे जुड़े हुए हैं। इनकी मदद के लिए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए।