सूडान में हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि यहां सुरक्षाबलों पर ही 70 से ज्यादा रेप के आरोप लगे हैं। सूडान की राजधानी खार्तूम में बीते सोमवार (3 जून, 2019) को सैन्यबलों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस हमले में 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और करीब 700 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। ‘गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) से जुड़ी पैरामिलिट्री ने प्रदर्शनकारियों के इस प्रदर्शन को तितर-बितर करने के तहत उनपर कार्रवाई की थी। रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में संचार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसके बाद से यहां यौन हिंसा से जुड़ी कई घटनाएं हुई हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यहां चिकित्सकों की सेंट्रल कमेटी ने एक डाटा तैयार किया है और इस डाटा के हवाले से एक चिकित्सक ने कहा है कि सुरक्षा बलों के हमले के बाद खार्तूम के अस्पतालों में 70 से ज्यादा रेप के मामले आए हैं। रॉयल केयर अस्पताल के एक चिकित्सक ने कहा है कि उन्होंने आठ दुष्कर्म पीड़िताओं का इलाज किया है जिसमें पांच महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं। दक्षिण खार्तूम के एक और अस्पताल में रेप के 2 मामले सामने आए हैं। इसमें से एक पीड़िता ने बताया है कि उसपर आरएसएफ पैरामिलिट्री के चार जवानों ने यौन हमला किया। कई पीड़िताओं ने सोशल मीडिया पर भी अपने दर्द बयां किये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कई पीड़िताओं ने खौफ की वजह से अस्पताल जाकर अपना इलाज भी नहीं कराया है। मानवाधिकार से जुड़े संस्थानों ने यौन हिंसा से संबंधी इन रिपोर्ट को विश्वसनीय भी कहा है।
बीते सोमवार को सूडान में अचानक स्थिति काफी खराब हो गई। यहां विपक्ष के कुछ नेता और आम लोग प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन अचानक इस प्रदर्शन को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों ने उनपर हमला कर दिया। खार्तूम और करीबी शहर ओमदरमन में दुकानें बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसर गया है। बता दें कि सूडान में इस वक्त सेना का शासन है। 6 अप्रैल से ही प्रदर्शकारी सेना के मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। सेना ने राष्ट्रपति उमर अल-बशीर का तख्तापलट कर दिया था जिसके बाद से ही प्रदर्शकारी सूडान की सत्ता को लेकर सेना के साथ समझौते की कोशिश कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि चुनाव के लिए लंबा वक्त मिलना चाहिए ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके और पिछली सरकार के प्रभाव को खत्म किया जा सके।
इससे पहले सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ था कि 3 साल बाद सूडान में चुनाव होंगे लेकिन अर्धसैन्य बलों ने सोमवार को प्रदर्शकारियों पर गोलियां चलाईं जिसके बाद सूडान में विपक्षी कार्यकर्ताओं ने देश की सैन्य परिषद के बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। विपक्ष का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के हिंसक दमन के बाद उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। (और…CRIME NEWS)
