राजस्थान की राजधानी जयपुर में रहने वाला एक लड़का पढ़ने में बेहद होनहार था। लेकिन उसकी घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। मुश्किल हालात में भी इस लड़के परिजनों ने कभी हार नहीं मानी। बच्चा मेधावी था लिहाजा उसने भी माता-पिता की लाज रखी औऱ आगे चलकर यह लड़का सफलता के उस शिखर तक जा पहुंचा जहां पहुंचने की तमन्ना कई लोगों की होती है। इस लड़के की जी-तोड़ मेहनत की यह कहानी बेहद प्रेरणादायक है। शुभम गुप्ता ने सातवीं क्लास तक जयपुर से पढ़ाई-लिखाई की। आर्थिक परेशानियों की वजह से उनका परिवार महाराष्ट्र के एक धानू रोड के पास एक छोटे से गांव में चला गया। इसके बाद शुभम ने आठवीं कक्षा लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई गुजरात के पास स्थित वापी से पूरी की।
शुभम को किताबों का शौक था। वो नॉन-फिक्सन, बायोग्राफिज और ऑटोबायोग्राफी पढ़ने के शौकीन थे और ऐसी किताबें वो जुटाते थे। इसके अलावा उन्हें क्रिकेट और टेनिस खेलना भी शुरू से ही पसंद रहा है। घर को आर्थिक सहारा देने के लिए धानू रोड के पास इनके परिजनों ने एक दुकान खोली। वापी स्थित स्कूल में पढ़ाई खत्म करने के बाद शुभम गुप्ता अपने पारिवारिक दुकान पर काम करते थे। लेकिन संघर्ष के दिनों में वो कभी भी पढ़ाई-लिखाई से समझौता नहीं करते थे।
इस काम में उनके परिजन भी उनकी मदद करते थे। दुकान पर काम करते हुए शुभम अपनी किताब वहां ले जाना नहीं भूलते थे औऱ दुकान के अंदर ही पढ़ाई भी किया करते थे। लगनशीलता का परिणाम यह हुआ कि स्कूल में शुभम का रिजल्ट बहुत अच्छा रहा। एक साक्षात्कार में शुभम गुप्ता ने बताया था कि जब वो 5वीं क्लास में थे तब एक दिन उनके पिता ने उनसे कहा था कि वो चाहते हैं कि उनका बेटा एक दिन कलेक्टर बने। एक बच्चे ने उस वक्त अपने पिता से तपाक से पूछ लिया था कि कलेक्टर क्या होता है? यह बातें शुभम के जेहन में हमेशा ताजा रहीं और फिर 11वीं क्लास में उन्होंने आईएएस को लक्ष्य बना लिया था।
शुभम ने बताया था कि उनके पिता ने उनके रोल मॉडल रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में कड़ा संघर्ष किया। बड़ी आर्थिक परेशानी में फंसने के बावजूद भी उनके पिता ने कभी हार नहीं मानी। बता दें कि शुभम ने साल 2015 में अपना पहला प्रयास किया, लेकिन वे प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए। फिर वर्ष 2016 में उन्होंने अपना दूसरा प्रयास किया और सभी चरणों – प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू को क्लीयर करके 366वीं रैंक हासिल की।
जिससे उनका इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस में चयन हुआ। शुभम ने वर्ष 2017 में फिर से प्रयास किया, लेकिन इस बार वो प्रीलिम्स परीक्षा को क्लियर नहीं कर पाए। यह उनका तीसरा प्रयास था। लेकिन शुभम गुप्ता ने अब भी हार नहीं मानी और वर्ष 2018 में उन्होंने चैथी बार प्रयास किया और आईएएस परीक्षा 2018 में 6ठी रैंक हासिल कर ली।
