राजस्थान के एक गांव की रहने वाली इस लड़की शादी महज 3 साल के उम्र में करा दी गई। यकीनन इस उम्र में उसे यह भी पता नहीं था कि उसके साथ यह क्या हुआ है। जिस वक्त उनकी शादी कराई गई थी उस वक्त राजस्थान में बाल विवाह आम बात थी। लेकिन इस लड़की ने बाल विवाह की बेड़ियों से निकलकर जिंदगी बेहतरीन सफलता हासिल की। आज हम आपको बता रहे हैं राजस्थान के थार की पुलिस वाली दीदी सुनीता की कहानी।

एक साक्षात्कार में सुनीता चौधरी ने बताया था कि ‘जब मैं महज तीन साल की थी, गांव के एक लड़के से शादी हो गई। मैं शादी करने के मतलब को समझने के लिए बहुत छोटी थी। राजस्थान में उस समय बाल विवाह होना आम बात थी। 18 साल की होने के बाद मुझे भी ससुराल भेज दिया गया था।

सुनीता के बारे में आपको बता दें कि जब वो छोटी थीं तब उन्होंने अपने पिताजी से स्कूल जाने की बात कही थी। शुरू में उनके पिताजी बेटी को स्कूल भेजने की बात पर हिचकिचाए थे क्योंकि उस समय उनके गांव में लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। हालांकि बाद में सुनीता चौधरी के पिता ने 5 साल की अपनी बेटी को स्कूल भेजना शुरू कर दिया। किसी तरह सुनीत चौधरी को स्कूल में जाने का तो मौका मिल गया लेकिन घर में बिजली की रौशन नहीं थी, लिहाजा सुनीत ने केरोसिन लैंप की रौशनी में पढ़ाई-लिखाई शुरू की। दिन-भर खेत में काम करने के बाद सुनीता लैंप की रौशन में पढ़ाई किया करती थीं।

बताया जाता है कि 5वीं पास कर ने के बाद सुनीता जब 6 किमी दूर पैदल पढ़ने जाती थी तो गांव वाले कहते- ओ सुनीता, काहे पढ़ रही हो? कौनो पढ़ी-लिखी बहू नहीं चाहे है. बेकार है सब…लेकिन गांव वालों की बातों को अनसुना कर सुनीता ने मैट्रिक की परीक्षा में बेहतरीन अंक लाया और वो आगे की पढ़ाई के लिए शहर चली गईं। यहां पता चला कि पुलिस में भर्ती निकली है। बिना कुछ सोचे-समझे सुनीता ने आवेदन किया और उनकी हिम्मत का नतीजा भी देखिए कि परीक्षा पास करने वाले 50 उम्मीदवारों में इकलौती वह लड़की थीं।

19 साल की उम्र में गांव से कॉन्स्टेबल बनने वाली सुनीता पहली लड़की बन गई थीं। वर्दी पहनकर सुनीता जब गांव पहुंची तो लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई थीं और फिर यहीं से उनको नाम मिला पुलिस वाली दीदी। आपको बता दें कि बाद में सुनीता ने कैंसर को भी हराया।