आतंकवाद के कारण पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में पाकिस्तान को अभी भी FATF की ग्रे लिस्ट में रहना पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने की हिदायत दी है। हालांकि, बताया जा रहा है कि उसके पॉइंट्स में कुछ सुधार आया है।
जानकारी के लिए बता दें कि, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक गैर सरकारी संस्था है। इसकी स्थापना साल 1989 में पेरिस में जी-7 समूह देशों के द्वारा की गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगाना था। इस समय फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में कुल 39 सदस्य हैं। यह संस्था साल में तीन बार बैठक करती है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के दो क्षेत्रीय संगठन भी हैं, जिनमें एक यूरोपीय जबकि दूसरा खाड़ी सहयोग परिषद शामिल है। आपको बता दें कि, पाकिस्तान साल 2018 से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि FATF ने इस बार भी कहा है कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक नहीं लगा पा रहा है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के अनुसार, पाकिस्तान अभी भी आतंकियों को फंड मुहैया कराने का काम कर रहा है। ज्ञात हो कि साल 2019 में भी पाकिस्तान को FATF की तरफ से कहा गया था कि वह इन संदिग्ध गतिविधियों पर कार्रवाई करे। इसके अलावा फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने देश में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भी कहा था।
पाकिस्तान कई सालों से खुद को शांतिपूर्ण देश दिखाकर ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने की कोशिश करता रहा है। वहीं, FATF की ग्रे लिस्ट में संयुक्त अरब अमीरात का नाम भी शामिल हो गया है। अभी तक चीन, मलेशिया, तुर्की जैसे देशों की मदद से पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से बचता रहा है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं। गौरतलब है कि, 4 मार्च को ही पाकिस्तान के पेशावर में जुमे की नमाज के दौरान एक मस्जिद में आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में 57 लोगों की मृत्यु हो गई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) ने ली थी।