दुनिया के मिडिल ईस्ट के हिस्से में बसे सीरिया से हमेशा से ही कई देश सतर्क रहे, जिनमें से एक नाम इजराइल का भी था। जब इजराइल को पता चला कि सीरिया जैसा देश परमाणु संयंत्र पर काम कर रहा है तो उसने रिएक्टर को ध्वस्त करने की ठान ली थी। इस कार्रवाई को ऑपरेशन ऑर्चर्ड के नाम से जाना जाता है। इस हमले में उत्तर कोरिया के 10 परमाणु वैज्ञानिकों की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।
कई सालों तक चुप रहा था इजराइल: कई सालों तक सीरिया के एक संदिग्ध परमाणु संयंत्र पर हमला करने की बात इजराइल ने नहीं स्वीकार की थी। लेकिन साल 2007 में हमला करने की बात को इजराइल ने पहली बार स्वीकार कर लिया था। इस बात की पुष्टि के इजराइल की सेना ने उन सभी दस्तावेजों को सार्वजानिक किया था, जिनमें इसकी योजना को तैयार किया गया था। इजराइल ने इस बात को तब स्वीकार किया जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू थे।
उत्तर कोरिया कर रहा था मदद: एक दशक से अधिक समय की चुप्पी के बाद, इजराइल ने बताया कि उसकी वायु सेना ने 5 और 6 सितंबर, 2007 के बीच की रात को सीरियाई परमाणु रिएक्टर को नष्ट कर दिया था। सीरिया का परमाणु रिएक्टर, उत्तर कोरिया द्वारा निर्मित था और उसे प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए तैयार किया जा रहा था। इस जानकारी को निकालने के लिए इजराइल ने मोसाद की मदद ली थी।
गुपचुप उड़े वायुसेना के विमान: हमले पर पूरी योजना के बाद इजराइल वायु सेना के आठ एफ-15 और एफ-16 ने दक्षिण इलाके में स्थित हतजेरिम और रेमन एयर बेस से 5 सितंबर की आधी रात को उड़ान भरी थी। सभी फाइटर जेट अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस थे। साथ ही वह संचार प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम से जाम करने की क्षमता रखते थे। इन फाइटर जेट्स ने सीरिया के वायुक्षेत्र में घुसते ही पूरे रडार सिस्टम को ब्लॉक कर दिया।
मिशन पूरा होते ही सभी बोल उठे एरिजोना: फिर तय योजना के मुताबिक, इजरायली विमानों ने कृषि फार्म के बीच में छिपाए गए परमाणु संयंत्र पर तीन मिनट तक विस्फोटक गिराए। इजरायल की सीमा से सटे दुश्मन देश सीरिया में मिशन सफल हो चुका था। अपने मिशन से लौटते हुए पायलटों ने कोड वर्ड “एरिजोना” को दोहराया, जिसका मतलब था कि ऑपरेशन पूरा हो चुका था। बता दें कि, इस ऑपरेशन को “आउट ऑफ द बॉक्स” के नाम से भी जाना जाता है।