संघर्ष से समाज में ऊंचा स्थान हासिल करने वाले कई शख्सियतों के बारे में अब तक हमने आपको बताया है। आज इसी कड़ी में एक अन्य शख्सियत की हम यहां चर्चा करेंगे जिन्होंने बेहद गरीबी से निकलकर सफलता का बेहतरीन स्वाद चखा। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के अंगुलाई गांव के रहने वाले ह्रदय कुमार के पिता पेशे से किसान थे। उनका परिवार बीपीएल कैटेगरी में आता था। ह्रदय कुमार की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूल से हुई। उन्होंने अपना प्लस टू Marshaghai College से किया। प्लस टू उन्होंने सेकेंड डिविजन से पास किया था।
एक दिलचस्प बात यह भी है कि ह्रदय कुमार बेहतरीन क्रिकेट खेलते थे। ह्रदय कुमार अच्छे बल्लेबाज थे। ह्रदय कुमार ने फैसला कर लिया था कि वो क्रिकेट में ही अपना करियर बनाएंगे। Kalahandi Cup inter-district cricket tournament में उन्होंने जिले की टीम का प्रतिनिधित्व भी किया था। लेकिन क्रिकेट के खेल में भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए ह्रदय कुमार ने एकेडमिक करियर की तरफ देखना शुरू किया। ह्रदय कुमार ने पांच साल के इंटिग्रेटेड एमसीए कोर्स के लिए उत्कल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां पढ़ाई-लिखाई के माहौल ने ह्रदय कुमार के मन में सिविल सर्विस की परीक्षा की तरफ उन्हें प्रेरित किया।
यूपीएससी के लिए किये पहले पहले 2 प्रयासों में ह्रदय कुमार मेधा सूची में स्थान बना पाने में सफल नहीं हो पाए। एक साक्षात्कार में ह्रदय कुमार ने बताया था कि मेरे माता-पिता बेहद गरीब थे और हम इंदिरा आवास योजना के तहत मिले घर में रहते थे। मेरे पिता के पास करीब ढाई एकड़ जमीन थी और उसपर खेती होती थी लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए पिता को एक एकड़ जमीन बेचनी पड़ी थी।
ह्रदय कुमार ने बताया था कि तमाम परेशानियों के बावजूद उनके पिता ने हमेशा उनका सपोर्ट किया। ह्रदय कुमार के पिता सुनाकर दास की आय बेहद कम थी और ह्रदय कुमार अपनी पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर। ऐसे में सुनाकर दास ने एक पिता कर्त्व्य निभाया और बेटे को कभी भी पैसों की कमी का एहसास नहीं होने दिया।