राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने बाघों की मौत के बाद तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में अधिकारियों की एक टीम भेजी है। नीलगिरी में केवल 40 दिनों के भीतर 10 बाघों की रहस्यमय मौत हुई है। केंद्रीय प्राधिकरण की टीम इस मौत की वजहों की जांच करेगी। जांच टीम में महानिरीक्षक (IG) मुरली कुमार, केंद्रीय वन्यजीव अपराध शाखा दक्षिण क्षेत्र के निदेशक किरूबा शंकर और केंद्रीय वन्यजीव अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक रमेश कृष्णमूर्ति शामिल हैं।
16 अगस्त को सिगुर क्षेत्र में दो शावकों की मौत से शुरू हुआ बाघों की मौत का चिंताजनक सिलसिला
NTCA टीम ने कहा कि नीलगिरी में उनका प्राथमिक मिशन इन 10 बाघों की मौत के रहस्य को उजागर करना और कारणों का पता लगाना है। बाघों की मौत का चिंताजनक सिलसिला 16 अगस्त को सिगुर क्षेत्र में दो बाघ शावकों की मौत की रिपोर्ट के साथ शुरू हुआ। इसके बाद 17 अगस्त को नाडुवट्टम में एक और बाघ की मौत हुई। इसके बाद 31 अगस्त को मुदुमलाई में एक और बाघ की मौत हुई। इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने आपात बैठक बुलाई थी।
सितंबर में चार बाघों की मौत, दो बाघिनों की रहस्यमय गैरमौजूदगी ने बढ़ाई पर्यावरणविदों की चिंता
इसके अलावा, 9 सितंबर को अवलांची में जहरीले मांस का इस्तेमाल करके दो बाघों की हत्या की गई थी। सितंबर के महीने में कुन्नूर में 17 से 19 सितंबर के बीच चार बाघ शावकों की मौत देखी गई। इन घटनाओं का एक पहलू जिसने पर्यावरणविदों के बीच चिंता बढ़ा दी है वह दो बाघिनों की अनुपस्थिति है। क्योंकि एक बाघिन अपने शावकों को 200 मीटर से अधिक दूरी तक लावारिस नहीं छोड़ती है। इन दोनों बाघिनों की रहस्यमय गैरमौजूदगी के कारण यह सवाल उठने लगा है कि क्या उनका ठिकाना बाघ शावकों की असामयिक मौतों से जुड़ा हो सकता है।
कुछ जानवरों की लाशों के फोरेंसिक विश्लेषण के बाद नीलगिरी भेजी गई केंद्रीय जांच टीम
नीलगिरी जिले के अवलांची इलाके में बीते महीने के बाद कुछ जानवरों की लाशें बरामद की गई थी। इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने जांच शुरू की और फोरेंसिक विश्लेषण के लिए ऊतक के सैंपल लैब को भेजे थे। लैब से रिपोर्ट सामने आने के बाद कई स्तरों पर उसका विश्लेषण किया जा रहा है। इसी सिलसिले में केंद्रीय प्राधिकरण ने नीलगिरी में उच्च स्तरीय जांच टीम भेजी है।