आम धारणा है कि आर्थिक दुश्वारियों के चलते किसान ही खुदकुशी जैसा कदम उठाते हैं, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि देश में बीते साल व्यापारियों की आत्महत्या करने की घटनाओं में 2019 की तुलना में 50 फीसदी इजाफा देखा गया। किसी भी श्रेणी में यह सबसे ज्यादा है। बीते साल देश में किसानों से ज्यादा कारोबारियों ने आत्महत्या की है। कोरोना के कारण 2020 में कई व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। कारोबार में नुकसान हुआ तो व्यापारियों के बीच खुदकुशी करने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 2020 में कोरोना की वजह से छोटे व्यवसाय बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए। उनका कहना है कि अब तक यह माना जाता था कि फसल खराब होने और बढ़ते कर्ज के कारण किसान ज्यादा आत्महत्या करते हैं। लेकिन इससे पता चलता है कि व्यवसायी भी कम तनाव में नहीं हैं। कोरोना ने उनकी समस्या को और ज्यादा बदतर बना दिया है। उनका कहना है कि कोरोना काल में व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया। लॉकडाउन ने स्थिति को बदतर बना दिया।

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 की तुलना में व्यापारियों ने 2020 में किसानों से भी ज्यादा आत्महत्याएं की। 2020 में 10 हजार 677 किसानों की तुलना में 11 हजार 716 व्यापारियों ने खुदकुशी की। इनमें 4356 ट्रेडर थे जबकि 4226 वेंडर्स थे। 2020 में कोरोना के कारण आर्थिक संकट के एक साल के दौरान व्यापारियों के बीच आत्महत्या में 50 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

2019 की तुलना में 2020 में कारोबारी समुदाय के बीच आत्महत्याओं में 29 फीसदी की वृद्धि हुई। व्यापारियों के बीच आत्महत्या 49.9 फीसदी की छलांग के साथ 2019 में 2,906 से बढ़कर 2020 में 4,356 हो गई। देश में कुल आत्महत्या का आंकड़ा 10 फीसदी से बढ़कर 1 लाख 53 हजार 52 हो गया। यह अब तक का सबसे अधिक है। किसानों की तुलना में व्यापारिक समुदाय के बीच हमेशा ऐसी मौतें कम ही देखी गई हैं, लेकिन व्यापारी कोरोना महामारी के बाद उपजे आर्थिक संकट से तनाव में हैं।