मौर्डेखाई वनुनु..यह एक ऐसे शख्स का नाम है जिसके दावे और तस्वीरों ने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया था। साल 1976 से 1985 के बीच मौर्डेखाई वनुनु इजराइल के डिमोना परमाणु प्लांट में बतौर टेक्निशियन काम करते थे, जहां वो परमाणु बम बनाने के लिए प्लूटोनियम बनाते थे। फिर फिलिस्तीन से संवेदना रखने के चलते उन्हें 1985 में नौकरी से निकाल दिया गया, लेकिन मौर्डेखाई ने 5 अक्तूबर 1986 को ऐसा बम फूटा कि दुनिया चौंक उठी।
कभी परमाणु प्लांट में प्लूटोनियम बनाने वाले मौर्डेखाई वनुनु ने एक अखबार के साथ मिलकर खुलासा किया। लंदन स्थित संडे टाइम्स के पत्रकार पीटर हूनम ने मौर्डेखाई वनुनु के हवाले से 5 अक्तूबर 1986 को खबर छापी कि इजराइल के पास दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा परमाणु बम हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के मुताबिक, इजराइल के पास 10-15 परमाणु हथियार होने की खबर थी लेकिन खबर में यह आंकड़ा 150-200 का था।
दरअसल, मौर्डेखाई ने नौकरी से निकाले जाने के पहले ही डिमोना परमाणु प्लांट, हाइड्रोजन और न्यूट्रन बमों की 50 से ज्यादा सीक्रेट तस्वीरें कैमरे में कैद कर लीं थी। इस खुलासे के बाद ब्रिटेन में रह रहे मौर्डेखाई को वहां से बाहर निकालकर अरेस्ट करने का प्लान मोसाद ने बनाया। एक तरफ मौर्डेखाई और पत्रकार पीटर हूनम ने हड़कंप मचा रखा था तो वहीं मोसाद ने अपनी महिला जासूस सिंडी को ब्रिटेन भेजा।
सिंडी का काम था कि वह किसी तरह मौर्डेखाई को प्रेम जाल में फंसाकर ब्रिटेन से बाहर निकाल लाए फिर वहां से उसे इजराइल लाया जाएगा। लंदन में प्लान के मुताबिक, 24 सितंबर 1986 सिंडी को मौर्डेखाई ने बीच सड़क पर देखा और कॉफी पर बुलाया। सिंडी ने खुद को अमरीकन ब्यूटिशियन बताया और मौर्डेखाई जासूस सिंडी की खूबसूरती के फेर में फंस गया। उसने पहली मुलाकात में ही अपना राज खोलते हुए कहा कि वह ब्रिटेन में माउंटबेटन होटल के कमरा नंबर 105 में जॉर्ज फॉर्स्टी के नाम से रह रहा है।
आखिरकार मौर्डेखाई ने हफ्ते भर बाद ही 30 सितंबर 1986 को सिंडी के साथ ब्रिटेन से बाहर रोम पहुंच गया। फिर तीन हफ्ते बाद न्यूज़वीक अखबार में खबर छपी कि मौर्डेखाई वनुनु इजराइल में है। पत्रकार पीटर हूनम के साथ पूरी दुनिया सकते में थी। फिर पता चला कि उन्हें मोसाद एजेंट्स ने रोम से अगवा किया गया था और अब वह 15 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं। फिर मौर्डेखाई वनुनु को 1988 में इजराइल में 18 साल के जेल की सजा सुनाई गई, जिसमें से उन्होंने 13 साल जेल में गुजारे। साल 2004 में उन्हें जेल से तो छोड़ा गया लेकिन उन पर कई तरह की बंदिशें लगा दी गईं।