‘कितनी कीमत मिलेगी इसकी?’ पिता की कही यह बात आज भी इस मासूम के दिल-ओ-दिमाग में गूंजती है। उस साल इस नाबालिग की कीमत उम्र और उसके कद के हिसाब से उसकी कीमत 30,000 रुपया लगई गई थी। 12 साल का यह मासूम उस वक्त चार फिट का था। उसके पिता ने उस वक्त बिचौलिये से कुछ एडवांस लिया और उसे बिचौलिये के हवाले कर दिया। उस वक्त उस नाबालिग को जरा भी मालूम नहीं था कि जहां उसे ले जाया जा रहा है शायद वो अब वहां से कभी वापस नहीं आ पाएगा। इसके बाद राजस्थान के बांसवारा जिले से इस नाबालिग के कुछ और दोस्त भी कुछ ही महीनों के अंदर अचानक गायब हो गए जो कभी नजर नहीं आए।

कुछ दिनों बाद खुलासा हुआ कि नाबालिग को तीस हजार रुपए में एमपी के उज्जैन में बेचा गया था। बकरी चराने वालों ने इस बच्चे को खरीदा था और वो यहां करीब तीन साल तक प्रताड़ित होता रहा। यह लोग मासूम को खाना-पीना भी नहीं देते थे यहां तक की उसे ठीक तरह से सोने भी नहीं देते थे। पिछले महीने ही इस मासूम को इन लोगों के चंगुल से छुड़ाया गया है। पता चला कि गड़ेरिये (बकरी चराने वाले) अपने पशुओं की देखभाल के लिए छोटे-छोटे बच्चों को खरीदते हैं क्योंकि यह बच्चे ज्यादा आज्ञाकरी होते हैं और उन्हें खाना भी कम देना पड़ता है।

राजस्थान के कुछ पिछड़े जिलों में बच्चों के खरीद-फरोख्त की वारदातें बढ़ी हैं। खासकर प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा जिले में बच्चों को बालश्रम के लिए भेजा जाता है। यहां इन्हें 2,000 रुपए महीने पर रखा जाता है। इन जिलों में पड़ने वाले चुंदाई और हमीरपुर जैसे गांवों में अब तक बिजली नहीं आई है। आसपास स्कूल और अस्पताल भी नहीं हैं यहां शिक्षा का स्तर भी काफी नीचे है और यहां कोई भी मासूम 10वीं क्लास से ज्यादा शिक्षित भी नहीं।

इन इलाकों में रहने वाले लोग महात्मा गांधी नेशनल रुरल इमप्लायमेंट गारंटी एक्ट (मनरेगा) के तहत मिलने वाले रोजगार के भरोसे रहते हैं। कई बार तो उन्हें कई-कई दिनों तक रोजगार भी नहीं मिलता। आय का कोई स्त्रोत नहीं होने की वजह से इन इलाकों में रहने वाले लोग अपने बच्चों को छह साल की उम्र से ही कमाने के लिए बाहर भेजना शुरू कर देते हैं। पिछले 30 दिनों में बांसवाड़ा के बाल कल्याण कमेटी के कार्यकर्ताओं ने 2 और बाल श्रमिकों को पानू इलाके से आजाद कराया है।

राजस्थान के बाल अधिकार संरक्षण के एक टीम ने हाल ही में इन जिलों का दौरा किया और टीम के एक सदस्य विजेंद्र सिंह ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बातचीत करते हुए बताया कि इस सौदेबाजी में बिचौलिये काफी सक्रिय हैं। जानकारी के मुताबिक करीब 8 लाख बच्चे यहां बालश्रम में लगे हुए हैं। बालश्रम कराने के मामले में देश में राजस्थान का तीसरा स्थान है। इस श्रेणी में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश है जहां 20 लाख बच्चे काम करते हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार का स्थान आता है जहां एक अनुमान के मुताबिक 10 लाख बाल श्रमिक हैं।

बता दें कि इस महीने केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में बताया था कि पिछले पांच सालों में देश के अलग-अलग राज्यों से करीब 3 लाख से ज्यादा बाल श्रमिकों को आजाद कराया गया है। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बालश्रम के दौरान कई बच्चे शारीरीक और मानसिक प्रताड़ना के शिकार भी हुए हैं। (और…CRIME NEWS)