अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर इस युवक ने एक ऐसी भयानक साजिश रची जिसे सुनकर आप दहल उठेंगे। इतना ही नहीं जब यह मामला अदालत में पहुंचा तब जज ने इसे विरलतम मामला करार दिया। बेरहमी से मर्डर किए जाने की यह खौफनाक कहानी पश्चिम बंगाल की है। सियालदह कोर्ट के एडीजे जीमूत बाहन विश्वास ने इस मामले में आरोपी पति और उसके दो सहयोगियों को फांसी की सजा सुनाई है। गंभीर बात यह भी है कि सजा पाने वालों में एक महिला भी शामिल है।
यह है पूरी घटना: 19 मई साल 2014 की रात सुरोजित देव का अपनी पत्नी से किसी बात पर विवाद हो गया। तकरार इतनी बढ़ी कि सुरोजित ने पीतल के किसी भारी बर्तन से पत्नी के सिर पर हमला कर दिया और उसकी वहीं मौत हो गई। पत्नी की हत्या के बाद सुरोजित ने उसकी लाश को ठिकाने लगाने के लिए अपनी प्रेमिका लीपिका पोद्दार से संपर्क किया। लीपिका ने सुरोजित की मुलाकात एक कसाई संजय विश्वास से करवाई। कसाई की मदद से सुरोजित ने अपनी पत्नी की लाश के कई टुकड़े कराए और उसे एक बैग में पाक कर सियालदह स्टेशन के कार पार्किंग जोन में फेंक दिया।
ऐसा खुला था राज: पत्नी की हत्या के बाद सुरोजित इस बात को लेकर निश्चिंत था कि उसके गुनाहों पर हमेशा पर्दा पड़ा रहेगा। लेकिन महिला की लाश मिलने के बाद जांच में जुटी पुलिस को इस बैग से दर्जी की एक पर्ची मिली थी। इसी पर्ची के सहारे पुलिस सुरोजित और उसकी प्रेमिका तक पहुंच गई।
अदालत ने सुनाई फांसी की सजा: पुलिस ने इस मामले में सियालदह जीआरपीएस में चार्जशीट दाखिल किया। अदालत में इस मामले की सुनवाई करीब 5 साल तक चली। एडीजे विश्वास ने सजा सुनाये जाने से पहले अभियुक्तों, पति सुरजीत देब, लिपिका पोद्दार और संजय विश्वास, से कहा कि अदालत ने साक्ष्यों पर गौर करने के बाद उन्हें दोषी पाया है। उन्हें इस बाबत कुछ कहना है क्या? इसके जवाब में अभियुक्तों ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि हत्या की इस घटना से उनका कोई सरोकार नहीं है।
एडीजे ने उनकी इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि ‘यह हत्या क्रूरता का एक ऐसा नमूना है जिसकी मिसाल बहुत कम मिलेगी। इसीलिए यह विरल से विरलतम मामला है।’ जज ने कहा कि ‘बेहद अमानवीय तरीके से यह हत्या की गई। लाश को टुकड़े-टुकड़े करते समय उनके हाथ भी नहीं कांपे होंगे। हैरानी की बात तो यह है कि इस घिनावने कृत्य में एक महिला भी शामिल थी।’ जज ने अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 302 और 120बी के तहत फांसी की सजा के साथ ही आईपीसी की धारा 201 के तहत सात साल जेल की सजा भी सुनाई। इसके अलावा उनमें से प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना नहीं अदा करने पर अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी।
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अलग-अलग रहते थे पति-पत्नी: खुलासा हुआ कि सुरोजित देब और उसकी पत्नी जयंती देवी दोनों के विवाहेत्तर संबंध थे। इस बात को लेकर दोनों में अक्सर विवाद होता था। इन्हें 16 साल की एक बेटी भी थी। पहले तो झगड़े की वजह से तंग आकर पति-पत्नी अलग रहने लगे। लेकिन फिर बच्ची के भविष्य की खातिर दोनों फिर से एक साथ रहने लगे। एक दिन पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई हुई और फिर इस वीभत्स हत्याकांड को अंजाम दिया गया। (और…CRIME NEWS)
