चंबल के कई खूंखार डकैतों की कहानी अब तक हमने आपको बताई है। आज एक ऐसी ही डकैत की कहानी हम आपको बताएंगे जिसपर हत्या, लूट, अपहरण समेत कई मामले दर्ज थे। खास बात यह है कि जगजीवन परिहार स्कूल के चपरासी से डकैत बन गया था और फिर उसने कई दिनों तक चंबल में राज किया। मध्य प्रदेश का एक जिला है मुरैना। इसी जिले के एक गांव चैरैला में कभी जगजीवन परिहार रहा करता था। कहा जाता है कि कभी जगजीवन एक साधारण इंसान की जिंदगी जीया करता था। एक बार गांव में जब स्कूल बनने की बात चली तब जगजीवन ने उस वक्त अपने पुरखों की जमीन स्कूल के लिए दे दी और वो इसी स्कूल में चपरासी बन गया। अनपढ़ जगजीवन कुछ दिनों के लिए पुलिस का मुखबिर भी रहा और उसने चंबल के कुख्यात डकैतों की सूचना भी पुलिस को दी थी।

कहा जाता है कि गांव के ही एक रसूखदार ने की जगजीवन परिहार पर जुल्म किये थे। इसके बाद प्रतिशोध की आग में जलकर जगजीवन परिहार ने डकैत बनने का फैसला कर लिया था। यह भी कहा जाता है कि उसने अपने भाइयों के साथ मिलकर गांव के ही रहने वाले इस रसूखदार शख्स की साल 2002 में हत्या कर अपना बदला पूरा किया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई बड़े अपराध किये। धीरे-धीरे जगजीवन परिवार चंबल का सबसे कुख्यात डाकू बन गया।

कहा जाता है कि कई किडनैपिंग के अलावा जगजीवन और उसका गिरोह 50 से ज्यादा हत्याओं में भी शामिल रहा। साल 2005 में अपने ही गांव के एक युवक को होली की आग में झोंकने के बाद तो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पुलिस ने इस पर बड़े-बड़े इनाम घोषित कर दिए। अकेले जगजीवन पर कुल मिला कर 5.75 लाख का इनाम था। उसके भाई परम सिंह, भारत व गिरोह के दूसरे सदस्यों पर घोषित इनामों को मिलाकर यह गिरोह 15.5 लाख का इनामी घोषित हो गया था।

साल 2005 के इस भयानक हत्याकांड के बाद जगजीवन और उसके गिरोह के खिलाफ पुलिस ने अभियान तेज कर दिया था। 14 मार्च, 2007 को सरगना जगजीवन परिहार और उसके गिरोह के 5 डाकुओं को मध्यप्रदेश के मुरैना एवं भिंड जिला पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गढ़िया गांव में लगभग 18 घंटे चली मुठभेड़ में जहां एक पुलिस अफसर शहीद हुए थे तो वहीं 5 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।