रेणुका शिंदे और सीमा गवित, आप इन दोनों बहनों को लेडी क्रिमिनल कह सकते हैं। किडनैपिंग और हत्या जैसे संगीन जुर्म इनके बाएं हाथ का खेल रहा है। आज हम बात कर रहे हैं पुणे की ऐसी तीन महिलाओं की जिनके ऊपर दर्ज हैं संगीन अपराध के करीब 125 मामले। गंभीर बात यह भी है कि इन दोनों बहनों को जुर्म की काली दुनिया में लाने वाली कोई और नहीं बल्कि इनकी मां अंजनीबाई है। बहुत पहले अंजनीबाई के पति ने उसे छोड़ दिया और दूसरी महिला से शादी कर ली थी। अंजनीबाई बेहद गरीब थी और वो किसी भी कीमत पर दौलतमंद बनना चाहती थी। अपनी दोनों बेटियों से अपराध करवाने का आइडिया उसके दिमाग में कैसे आया? इसके पीछे भी एक कहानी है।

दरअसल एक दिन अंजनीबाई ने मंदिर में चोरी की और वो पकड़ी गई। लेकिन जब वो पकड़ी गई तब उसने इस चोरी का इल्जाम अपनी बेटी रेणु के मासूम बेटे पर डाल दिया। लोगों ने बच्चे पर रहम कर उसे छोड़ दिया। बस यहीं से अंजनीबाई को अपनी बेटियों से अपराध करवाने का आइडिया मिला। शुरू में उसने अपनी बेटियों से छोटी-मोरी चोरी, पॉकेटमारी और चेन स्नेचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिलवाया। 90 के दशक में अंजनीबाई ने अपनी दोनों बेटियों के साथ मिलकर पहली बार एक बच्चे की हत्या की। उस वक्त रेणुका की उम्र 17 साल और छोटी बेटी सीमा की उम्र 15 साल थी। जानकारी के मुताबिक जून 1990 से लेकर अक्टूबर 1996 तक इन तीनों मां और बेटियों ने मिलकर दर्जनभर बच्चों का अपहरण कर उनकी हत्याएं की।

इन तीनों की बेरहमी के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने डेढ़ साल के एक बच्चे का सिर जमीन पर पटक-पटक कर उसे मार दिया था क्योंकि वो रो रहा था। ऐसे ही 18 महीने के एक बच्चे की बेरहमी से हत्या कर इन लोगों ने उसके शव को पर्स में ठूंसकर सिनेमा हॉल के टॉयलेट में छोड़ दिया था। इसके अलावा इन तीनों ने 2 साल के बच्चे को कई दिनों तक भूखा रखकर तड़पा-तड़पा कर उसकी जान भी ली थी। इसी तरह कई बच्चों को अगवा कर इन्होंने अपना शिकार बनाया। लेकिन 14वें बच्चों को जब इन्होंने अगवा किया और जब वो उसे भी मारने वाली थीं तब तक पुलिस के हाथ इन तक पहुंच गए। नवंबर 1996 में तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 1997 में अंजनीबाई की जेल में मौत हो गई। जबकि दोनों हत्यारी बहनों को साल 2001 में फांसी की सजा सुनाई गई। (और…CRIME NEWS)