7 अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया तो पूरी दुनिया हैरान रह गई। दरअसल इजरायल का सुरक्षा तंत्र पूरे विश्व में सबसे मजबूत माना जाता है और हमास ने जिस प्रकार से इजरायल पर हमला किया, उससे पूरी दुनिया हैरान रह गई। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि हमास ने अचानक यह हमला क्यों किया? बिना किसी तैयारी के इस तरीके के हमले को अंजाम नहीं दिया जा सकता।

अब इसको लेकर एक बड़ी बात सामने आई है। दरअसल साल 2020 में अमेरिकी सेना ने ईरानी आर्मी के बड़े अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। कासिम को ईरान का दूसरा सबसे ताकतवर शख्स माना जाता था। ईरान के सबसे ताकतवर नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई हैं। उसके बाद जनरल सुलेमानी का नंबर था।

इराक की राजधानी बगदाद में एयरपोर्ट के पास अमेरिकी मिसाइल से हमला हुआ और इसमें कासिम सुलेमानी को मार गिराया गया। इस हमले में इजरायल ने अमेरिका की मदद की थी। उसके बाद से ही ईरान इजरायल से बदला लेना चाहता था। इसके बाद फिलिस्तीन में चुनाव हुए और वहां पर हमास की जीत हुई।

इस जीत के बाद ही हमास ने इजरायल पर हमले की योजना बनाने शुरू कर दी। हमास ने इसके लिए 200 आतंकियों को तैयार किया और उन्हें ट्रेनिंग के लिए दक्षिणी लेबनान भेजा गया। हिजबुल्लाह के कमांडरों ने उन्हें ट्रेनिंग दी थी। इसीलिए इन सब के पीछे कथित रूप से ईरान का हाथ माना जा रहा है। हमास के आतंकियों के पास अत्याधुनिक हथियार भी थे और माना जा रहा है कि ईरान ने ही उन्हें हथियार से लेकर पैसे तक दिए हैं।

माना जाता है कि हिज्बुल्लाह और हमास का उद्देश्य था कि इजरायल पर ऐसा हमला हो कि उसके साथ अमेरिका का भी मनोबल गिरे। इसके लिए हमास के आतंकियों करीब 4 साल तक ट्रेनिंग दी गई।

सुलेमानी को पूरी दुनिया में पहचान मिली थी। साल 1998 में उन्हें आर्मी का प्रमुख बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने हिज्बुल्लाह, सीरिया में असद और इराक में शिया समर्थित मिलेशिया ग्रुप के साथ ईरान की करीबी बढ़ाई थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया और इराक की लड़ाई में अहम भूमिका भी निभाई थी। मिडिल ईस्ट में ईरान का प्रभाव बढ़ रहा था और इसके लिए जनरल सुलेमानी को श्रेय दिया जाता था। इसी वजह से अमेरिका, सऊदी अरब और इजरायल सुलेमानी के पीछे पड़े थे। 2020 से पहले भी उनको मारने के लिए कई बार कोशिश की गई थी।